उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धर्मगुरु के सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 121 हो गई है। राज्य पुलिस ने धार्मिक सभा के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में आयोजकों पर सबूत छिपाने और परमिट शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। आयोजकों को 80,000 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कार्यक्रम में लगभग 2.5 लाख लोग मौजूद थे। हालांकि, सभा या ‘सत्संग’ संचालक जगत गुरु साकार विश्वहारी का नाम एफआईआर में नहीं है, हालांकि उनका नाम शिकायत में है.
एफआईआर में कार्यक्रम आयोजकों पर कई तरह के कदाचार का आरोप लगाया गया है। सबसे पहले, उन पर ‘सत्संग’ के लिए अनुमति मांगते समय भक्तों की संख्या कम बताने का आरोप लगाया गया। इसके अलावा, आयोजकों ने कार्यक्रम के दौरान यातायात प्रबंधन में अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं किया। एफआईआर में यह भी दावा किया गया है कि भगदड़ के बाद उन्होंने सबूत छिपाने की कोशिश की। यह दुखद घटना उस समय हुई जब बाबा के वाहन के गुजरने के रास्ते से उपस्थित लोग मिट्टी इकट्ठा करने के लिए रुके थे।
रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआर में पुलिस और प्रशासन को क्लीन चिट देते हुए कहा गया है कि उन्होंने उपलब्ध संसाधनों से जो भी संभव था वो किया। बता दें कि कल देर रात सिकंदराराऊ पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई प्राथमिकी में ‘मुख्य सेवादार’ देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों का नाम दर्ज किया गया है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा), 238 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिकाभी दायर की गई है, जिसमें घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति की मांग की गई है। इसके अलावा, पुलिस ने धार्मिक समागम में कई खामियों की खबरों के बीच आध्यात्मिक गुरु नारायण साकर हरि की तलाश शुरू कर दी है, जहां भगदड़ मची थी।