हरिद्वार – देवभूमि उत्तराखंड के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले हरिद्वार को देश की आध्यात्मिक राजधानी भी कहा जाता है. मंदिरों और धर्मशाला के इस शहर में एक मंदिर ऐसा भी है जो 108 नर मुंडो पर बना हुआ है. इस सिद्ध पीठ में आए बिना तंत्र साधना के साधकों की सिद्धि पूरी नहीं मानी जाती है.यहां श्रद्धालु माई को शराब का भोग लगाते हैं. कहा जाता है कि सच्चे मन से माता के दरबार में जो भी मुराद मांगी जाती है उसे माई पूरी करती है. हम बात कर रहे हैं सिद्ध पीठ”दक्षिणेश्वर काली मंदिर” की. बाबा कामराज ने मां काली के आदेश पर इसकी स्थापना की थी. आप जब कभी भी हरिद्वार आए तो इस मंदिर के दर्शन करना ना भूलें.
नर मुंडो पर स्थापित सिद्ध पीठ
मां काली को समर्पित मंदिर का स्कंद पुराण में भी जिक्र देखने को मिलता है. कहा जाता है कि बाबा कामराज को काली मां ने साक्षात दर्शन दिए और इस मंदिर की स्थापना 108 नरमुंड पर करने का आदेश दिया. जिस पर बाबा कामराज ने नर मुंडो को कहां से लाने का सवाल किया तो माई ने कहा की श्मशान घाट है यहां पर आने वाले मुर्दों को जीवित कर उनके नर मुंडो से मंदिर की स्थापना करो. जिसके बाद कामराज महाराज ने 108 नरमुंड पर इसकी स्थापना की. मान्यता यह भी है कि बाबा कामराज आज भी अजगर के रूप में मंदिर परिसर में ही रहते हैं.
माई को लगता है शराब का भोग
दक्षिण काली मंदिर में माता की मूर्ति का मुख पूर्व की ओर है जबकि दक्षिण की ओर गंगा बह रही है. यही कारण है कि इसे दक्षिण काली मंदिर कहा जाता है. देश के कोने कोने से भक्त दर्शन के लिए यहां आते हैं. नवरात्र पर यहां आने वाले भक्तों की अधिक संख्या होती है लेकिन माई को शनिवार का दिन बहुत प्रिय है. जिसके चलते हर शनिवार को यहां लोगों के भीड़ लगी रहती है. माई को प्रसन्न करने के लिए भक्त गुप्त रूप से शराब का भोग लगाते हैं. कहां जाता है कि दुनिया में जितने भी साधक तंत्र साधना के साधक हैं उनकी सिद्धि दक्षिण काली मंदिर आए बिना पूरी नहीं होती है.