गुजरात चुनाव इसबार कांग्रेस पार्टी के लिए बुरा सपना साबित हुआ, इस बार उसे करारी हार तो मिली ही, इसके साथ ही उसकी विपक्ष की भूमिका भी उससे छिन गयी, क्योंकि उसके लिए वो ज़रूरी 19 सीटें जीतने का आंकड़ा नहीं छु पायी, उसे सिर्फ 17 सीटों पर ही जीत नसीब हुई. गौरतलब है कि लीडर ऑफ़ अपोज़िशन का पद पाने के लिए किसी भी विपक्षी दल को सदन की कुल सदस्य संख्या की कम से कम 10 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल करना ज़रूरी होता है.
दो बार से लोकसभा में भी नहीं मिला LoP का पद
बता दें कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी नहीं मिल पाई है. 2014 में कांग्रेस के खाते में केवल 44 सीटें आई थीं, वहीँ 2019 में भी उसे 52 सीटों पर ही मिली थी जबकि नेता प्रतिपक्ष के लिए कम से कम 55 सीटों की ज़रूरत होती है. इस तरह गुजरात में इस बार नेता प्रतिपक्षविहीन सदन चलेगा।
सीटों के साथ मत प्रतिशत भी प्रचंड
बीजेपी ने इसबार 156 सीटों का प्रचण्ड बहुमत हासिल किया है . वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को 52.50 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुआ है जो 2017 के विधानसभा चुनावों की 49.1 की तुलना में करीब चार फीसदी ज़्यादा है. कांग्रेस को 27.28 फीसदी वोट शेयर प्राप्त हुआ है. पिछली बार के 41.4 फीसदी के वोट शेयर की तुलना में उसके मत प्रतिशत में काफी गिरावट आई है. कांग्रेस ने पिछली बार 77 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीँ आम आदमी पार्टी को पांच सीटों पर जीत मिली है और 12.92 प्रतिशत मत हासिल हुआ है. माना जा रहा है कि यह मत प्रतिशत कांग्रेस पार्टी से निकला है जिसकी वजह से उसकी इस चुनाव में यह दुर्गति हुई है.