कुछ दिन पहले तक चीन अमेरिका को पीछे छोड़कर विश्व शक्ति बनने की तैयारी में था. वैश्विक स्तर पर चीन अपनी पकड़ मजबूत करने में लगा था, लेकिन कुछ ही महीनों में बाजी पलट गई. आज चीन की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. चीन की जीडीपी सुस्त पड़ी है, रियल एस्टेट ढह रहा है.
कंपनियों पर कर्ज बढ़ता जा रहा है. दुनिया की फैक्ट्री कहा जाने वाला चीन बूढ़ा हो रहा है. चीन का कभी न ख़त्म होने वाला इंजन ख़राब हो रहा है, जिससे चीन की अर्थव्यवस्थाओं के लिए ख़तरनाक ख़तरा पैदा हो रहा है। चीन और अमेरिका की दुश्मनी किसी से छुपी नहीं है. चीन की गिरती अर्थव्यवस्था ने अमेरिका की टेंशन बढ़ा दी है.
अमेरिका और चीन के बीच ये कैसा रिश्ता?
अमेरिका और चीन के बीच तनाव किसी से छिपा नहीं है. हर गुजरते दिन के साथ दोनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. व्यापार नीति से लेकर तकनीक तक चीन और अमेरिका अक्सर आमने-सामने आते रहते हैं। दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे को मात देने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं, लेकिन अब चीन की डूबती अर्थव्यवस्था ने अमेरिका के माथे पर बल डाल दिया है।
चीन की अर्थव्यवस्था में बजती खतरे की इस घंटी से अमेरिका में खलबली मच गई है. आप सोच रहे होंगे कि चीन की इस आर्थिक उथल-पुथल से अमेरिका को खुश होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है. चीन की गिरती हालत अमेरिका के लिए भी खतरे की घंटी है.
चीन की हालत देखकर क्यों बढ़ी अमेरिका की टेंशन?
चीन अमेरिका समेत दुनिया भर के देशों के लिए एक फैक्ट्री की तरह काम करता है. चीन पिछले दो दशकों से सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। अमेरिका समेत दुनिया भर के देश चीन से सस्ता सामान खरीदकर भारी मुनाफा कमा रहे हैं। अमेरिकी कंपनियां चीन में अपने प्लांट लगाकर वहां से सस्ते उत्पाद बनाकर पूरी दुनिया में बेच रही हैं और भारी मुनाफा कमा रही हैं। अब ऐसे में चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी ने अमेरिका की टेंशन बढ़ा दी है.
अगर चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी आती है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ना तय है. अगर चीन की अर्थव्यवस्था चरमराती है तो इसका असर अमेरिकी कंपनियों, अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है. अमेरिका पहले से ही महंगाई से जूझ रहा है, ऐसे में चीन से बढ़ते खतरे ने उसकी परेशानी और बढ़ा दी है. अगर चीन की अर्थव्यवस्था और गिरती है तो इसका असर अमेरिकी कंपनियों के शेयरों पर भी पड़ेगा.
चीन बड़ा बाज़ार
दरअसल, कई अमेरिकी कंपनियों ने चीन में भारी निवेश किया है। चीन कई कंपनियों के लिए सबसे बड़ा बाज़ार है. जाहिर है कि चीन की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाई तो इन कंपनियों पर असर पड़ेगा। यहां तक कि जिन कंपनियों का चीन में ज्यादा कारोबार नहीं है, वे भी चीन की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। एप्पल, इंटेल, फोर्ड और टेस्ला जैसी अमेरिकी कंपनियों ने चीन में बड़ी इकाइयां स्थापित की हैं। चीन की बिगड़ती आर्थिक स्थिति का असर इन कंपनियों के मुनाफे, काम और अमेरिका पर पड़ेगा।
इसी तरह, स्टारबक्स और नाइकी जैसी कंपनियां चीनी ग्राहकों पर निर्भर हैं। जिस पर भी इस आर्थिक मंदी का असर पड़ेगा. बैंक ऑफ अमेरिका ने उन शीर्ष कंपनियों की सूची बनाई थी जिनका चीन में सबसे ज्यादा एक्सपोजर है। इस लिस्ट में लास वेगास सैंड्स पहले नंबर पर है। इस कंपनी का 68% राजस्व चीन से आता है। इसी तरह, सेमीकंडक्टर निर्माता क्वालकॉम का चीन में 67 फीसदी एक्सपोजर है। एनवीडिया, विन रिसॉर्ट्स और एमजीएम रिसॉर्ट्स का भी चीन में महत्वपूर्ण प्रदर्शन है।
अमेरिका ही नहीं दुनिया के ज्यादातर देश होंगे प्रभावित
चीन की इस हालत का असर सिर्फ अमेरिका पर ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों पर पड़ेगा। चीन 70 से अधिक देशों के साथ व्यापार करता है। इन देशों के साथ आयात-निर्यात होता है, अगर चीन में मंदी आती है तो ये सभी देश भी इसकी चपेट में आ जाएंगे. वैश्विक आर्थिक वृद्धि में अकेले चीन का योगदान 40 प्रतिशत है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि चीन की मंदी का दुनिया पर क्या असर पड़ने वाला है.