लखनऊ। बिजली संकट के बीच विदेशी कोयले से चलने वाली उत्पादन इकाईयों को पूरी क्षमता के साथ चलाये जाने का केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर दिया है। इसको लेकर उपभोक्ता परिषद ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर दिये हैं। परिषद ने कहा कि जरूरत पड़ने पर बिजली पावर एक्सचेंज पर अपनी बिजली को बेच सकती है। परिषद ने कहा है कि यह नीजि घरानों को लाभ पहुंचाने के लिये किया गया है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अभी तक तो ऊर्जा मंत्रालय विदेशी कोयले की खरीद का ही दबाव बना रहा था। अब विदेशी कोयला से चलने वाली मशीनों की बिजली को भी बिकवाने के इंतजाम में जुट गया है। यह देश की जनता को बड़ा धोखा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ और सिर्फ उद्योगपतियों को ही फायदा मिलेगा। अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस सींडिकेट के खुलासे के लिए सीबीआई जांच की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही नीजि घरानों को बढ़ावा दिया गया तो ऊर्जा सेक्टर पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।
वर्तमान परिदृश्य की बात करतें तो देश में 13 उत्पादन इकाईयों को विदेशी कोयले पर आधारित डिजाइन किया गया है। इनकी कुल क्षमता 17600 मेगावाट है। अभी तक जहां पर ये उत्पादन इकाईयां लगी हैं, उसी राज्य को कोयला देना का एग्रीमेंट होता है। इसके इतर अगर वह सरकार नहीं खरीदती है तो उसको पावर एक्सचेंज पर 12 रूपये प्रति यूनिट तक बेच सकते हैं।
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देशी कोयले की तुलना में देखें तो विदेशी कोयला करीब दस गुना ज्यादा महंगा है। देशी कोयला जहां पर 1700 रूपये मीट्रिक टन है तो वहीं विदेशी कोयले की दरें 17000 मीट्रिक टन है। अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं कि इस दस गुना महंगे कोयले का भार उपभोक्ताओं की ही जेब पर पड़ेगा। ऐसे में उपभोक्ता परिषद की यह मांग है कि विदेशी कोयला का प्रकरण एक साजिश है और इसकी तत्काल सीबीआई जांच कराई जाए।