नई दिल्ली। शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया की भूमिका क्या है? यह जानने के लिए सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे पूछताछ से शुरुआत की। कुछ पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। अब यह एक स्थायी हिरासत में तब्दील होती दिखाई दे रही है। इसके पहले सत्येंद्र जैन के मामले में यही पैटर्न देखा गया था। लगभग उसी तर्ज पर अब अरविंद केजरीवाल से भी पूछताछ का सिलसिला शुरू हो गया है। तो क्या यदि केजरीवाल के खिलाफ कुछ सबूत मिले तो उन्हें भी जेल जाना पड़ेगा? यदि अरविंद केजरीवाल जेल गए तो इससे दिल्ली की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
शराब घोटाले में सीधे तौर पर जिम्मेदारी ठहराना मुश्किल
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सरकार बनाने के साथ ही अपने पास कोई विभाग नहीं रखा। यहां तक कि अन्य विभागों की जो फाइल उनके पास आती थी, उस पर भी वे कोई हस्ताक्षर नहीं करते थे। ऐसे में शराब घोटाले में सीधे तौर से उन्हें जिम्मेदार ठहरा पाना बहुत मुश्किल है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उन्हें केवल अन्य आरोपियों के बयानों के आधार पर प्रथम दृष्टया आरोपी माना जा सकता है, लेकिन यदि पैसे की लेनदेन की ट्रेल नहीं मिल पाती है तो केजरीवाल को सीधे दोषी साबित कर पाना कठिन होगा।
बयानों की अदालत में कोई उपयोगिता नहीं
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी दुबे के अनुसार अहम बात यह है कि किसी आरोपी के बयान की प्रमाणिकता को दूसरे प्रमाणों से प्रमाणित होने के बाद ही उसे किसी आरोपी के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि अन्य सहयोगी साक्ष्यों से आरोप प्रमाणित नहीं हुए तो ऐसे बयानों की अदालत में कोई उपयोगिता नहीं है। इसके पहले भी ठग के आरोपी सुकेश चंद्रशेखर के मामले में भी यही बात सामने आई थी। इसके बाद भी विस्तृत जांच के नाम पर साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए ऐसे व्यक्ति को अदालत द्वारा उचित मानने तक हिरासत में लिया जा सकता है।