छावनी विधेयक 2022 के अलावा पास हो सकता है ओल्ड ग्राट विधेयक
कमल भार्गव
साल खत्म होते-होते कैंट की जनता के लिए राहत की खबर हो सकती है। आज से शुरु होने वाले संसद कि शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार सोलह विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है। इसमें दो विधेयक छावनी क्षेत्र की विभिन्न प्रकार की भूमि और समस्याओं से जुड़े हुए है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में कैंट वासियों की खास तौर पर सम्पत्ति को लेकर सात दशकों से चली आ रही परेशानियों से निजात मिलेगी। अगर विधेयक पास हो जाते है तो मुख्य रुप से सम्पत्ति के भू उपयोग से लेकर उपविभाजन और हस्तांतरण जैसी सुविधा क्षेत्र वासियों को बिना किसी परेशानी के उपलब्ध हो जाएगी।
वर्ष 2022 का अंतिम संसद सत्र यानी शीतकालीन सत्र 7 से 29 दिसम्बर के बीच चलेगा। इस सत्र में विभिन्न मुद्दों के अलावा सोलह विधेयक को पेश किया जाएगा। इनमें दा कैंटोनमैंट बिल, 2022 और दा ओल्ड ग्राट (रेशुलेशन) बिल, 2022 शामिल है। लम्बे अरसे से मोदी सरकार द्वारा देश की 62 छावनी क्षेत्र स्थित सिविल एरिया खास तौर पर बाजारी क्षेत्र को नगर निगम क्षेत्र में लाने की बाते कही जा रही है। पिछले दो सालों में समय-समय पर हुए संसद सत्र में अन्य कई विधेयक के साथ दा कैंटोनमैंट बिल, 2022 को लिस्ट किया गया था। लेकिन विभन्न कारणों की वजह से ये बिल पेश नहीं हो पाया था। एक दो बार तो समय से पहले ही संसद सत्र तो हंगामे के चलते समाप्त कर दिया गया था। परंतु इस सत्र में दा ओल्ड ग्राट (रेशुलेशन) बिल, 2022 को पहली बार सूचीबद्ध कर संसद में पेश करनी की तैयारी की जा रही है।
दरअसल कैंट की लगभग सभी प्रकार की भूमि पर भारत सरकार का स्वामित्व होता है। केवल उपयोग के लिए जमीन को इस्तेमाल करने की अनुमित होती है और उपयोग करने वाला उस पर बने सुपर स्ट्रक्चर का मालिक होता है। ऐसे में अगर दोनों ही बिल पास हो जाते हो तो निश्चित तौर पर सिविल क्षेत्र और जनता के दिन बदल जाएंगे। आने वाले दिनों में जमीन का मालिकाना हक भी मिल सकेगा। वही अगर एक बार को केवल ओल्ड ग्राट विधेयक ही पास होता है और कैंट एक्ट रुक जाता है तो भी जनता के लिए राहत की खबर होगी। भारत सरकार के मुताबिक सन 1827, 1836, 1838 व 1849 में हुए सरकारी आदेश द्वारा दी गई भूमि को विनियमित करने जिसमें हस्तांतरण, उप-विभाजन और उद्देश्य परिवर्तन सहित ऐसे भूमि के बेहतर प्रबंधन के लिए शक्तियों को प्रतयायोजित करना और सरकार के प्रभावी संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए कैंट वासियों के जीवन के आसान बनाने के लिए इस बिल को लाया जा रहा है।
हाल ही में एक नवम्बर को भारत सरकार ने सरकारी राजपत्र में धारा 346 कैंटोनमैंट एक्ट, 2006 की धारा के अंतर्गत संशोधन किया था। इसके चलते श्रेणी ए-3 की भूमि को केन्द्रीय सरकार कभी भी फ्रीहोल्ड करने के संबंध में नीति तैयार कर सकती है और उसमें संशोधन कर सकती है।