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बजट में वित्तीय ढिलाई पर CAG ने यूपी सरकार की खिंचाई की

उत्तर प्रदेशबजट में वित्तीय ढिलाई पर CAG ने यूपी सरकार की खिंचाई की

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नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बजट अनुमान और वास्तविक प्राप्तियों में भारी अंतर और भारी मात्रा में अव्ययित बजट प्रावधानों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई की है। कैग की रिपोर्ट कल मानसून सत्र के आखिरी दिन यूपी विधानसभा में पेश की गई। कैग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022-23 के बजट में करीब 5.90 लाख करोड़ रुपये की आय का अनुमान लगाया गया था। इसकी तुलना में करीब 4.85 लाख करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए। इस प्रकार वास्तविक आय अनुमानित आय से 1.05 लाख करोड़ रुपये कम रही। कैग ने यूपी सरकार को इसकी समीक्षा करने का सुझाव दिया है।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में स्वयं के कर राजस्व में अनुमानित आय करीब 2.20 लाख करोड़ रुपये थी, लेकिन वास्तविक आय सिर्फ 1.74 लाख करोड़ रुपये रही। इसमें 21 फीसदी की कमी दर्ज की गई। केंद्रीय करों का हिस्सा बढ़ा है। इस मद में 1.46 लाख करोड़ रुपए मिलने का अनुमान था, लेकिन 1.69 लाख करोड़ रुपए मिले। गैर-कर राजस्व 23406 करोड़ रुपए के अनुमान के मुकाबले 13489 करोड़ रुपए प्राप्त हुआ। इस मद में 42 प्रतिशत की कमी आई। इसी तरह भारत सरकार से अनुदान सहायता के रूप में 1.08 लाख करोड़ रुपए के बजाय 59919 करोड़ रुपए ही मिले। इसमें भी 44 प्रतिशत से अधिक की कमी आई। ऋण एवं अग्रिम की वसूली 2565 करोड़ रुपए के बजाय 1337 करोड़ रुपए रही। इसमें भी 47 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई।

सीएजी रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि लोक ऋण के रूप में 89174 करोड़ रुपए के बजाय 66846 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। इ समें भी 25 प्रतिशत की कमी आई। इस तरह कुल आय अनुमान के मुकाबले एक लाख करोड़ रुपए से अधिक घट गई । इस बीच, कैग की रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया है कि उत्तर प्रदेश के विशाल बजट का करीब एक चौथाई हिस्सा खजाने में बिना खर्च हुए ही रह गया। वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 तक अलग-अलग वर्षों में यह स्थिति घटती-बढ़ती रही। वित्त विभाग से जुड़ी कैग की रिपोर्ट के मुताबिक पांच बजटों में बिना खर्च की गई राशि में इजाफा हुआ है। 2018-19 से 2022-23 तक बजट 4.99 लाख करोड़ रुपये से 6.85 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, लेकिन विभाग उसी अनुपात में बड़ी राशि खर्च नहीं कर सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में 6.85 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया, लेकिन सिर्फ 5.19 लाख करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए। यानी करीब 1.65 लाख करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पाए। कैग के मुताबिक यह अंतर राज्य सरकार की योजना और क्रियान्वयन में भारी अंतर को दर्शाता है।

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