सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को बायजू के दिवालियेपन मामले को संभालने वाले समाधान पेशेवर (आरपी) द्वारा आयोजित बैठकों पर अस्थायी रोक लगा दी है। मामले पर कोर्ट का अंतिम फैसला अभी लंबित है। सुनवाई के दौरान, बायजू के लेनदारों का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल ने संभावित समझौते के लिए शर्तें रखीं, जिसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि कोई भी भुगतान बायजू की परिसंपत्तियों से नहीं आना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने यह भी सवाल किया कि क्या मौजूदा कानूनी नियम निर्धारित प्रक्रियाओं, विशेष रूप से दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के विनियमन 30ए के बाहर समझौते की अनुमति देते हैं।
इस मामले में बायजू की मूल इकाई थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के वित्तीय रिकॉर्ड की भी जांच की गई। लेनदारों के वकील श्याम दीवान ने मार्च 2022 तक 8,104.68 करोड़ रुपये के भारी नुकसान का हवाला दिया, इस बात पर जोर दिया कि नियमों के अनुसार पारदर्शिता दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए थे। उन्होंने बायजू के डिफॉल्ट दावों से जुड़े मुद्दों का भी जिक्र किया, जिसमें बताया कि कंपनी के ऑडिटर ने सितंबर 2024 में इस्तीफा दे दिया, जिससे कंपनी की वित्तीय सेहत को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
बायजू की कानूनी टीम ने तर्क दिया कि कंपनी को 99.18 प्रतिशत कारोबार का मालिकाना हक होने के बावजूद दिवालियापन प्रक्रिया में अहम फैसलों से बाहर रखा गया है। उन्होंने प्रक्रिया को संभालने के तरीके में अनियमितताओं का हवाला देते हुए दिवालियापन कार्यवाही पर रोक लगाने का अनुरोध किया। आरपी की अगुवाई वाली सभी बैठकों को रोक दिया गया है, जिससे बायजू की चल रही दिवालियापन लड़ाई में एक महत्वपूर्ण विराम बना हुआ है।