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राममंदिर का इतिहास:1885, जब 356 वर्ष बाद विवाद पहली बार पहुंचा कोर्ट

उत्तर प्रदेशराममंदिर का इतिहास:1885, जब 356 वर्ष बाद विवाद पहली बार पहुंचा कोर्ट

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History Of Ram Mandir: राम जन्म भूमि और मस्जिद का विवाद लगातार गहराता जा रहा था। मुस्लिम और हिंदुओं का संघर्ष खूनी हो चुका था। मामले का कोई हल भी नहीं निकल पा रहा था। पहले दंगे के 27 वर्ष बाद हिंदुओं ने भगवान को कानूनन हक दिलवाने का प्रयास किया। 1885 में पहली बार भगवान को उनकी जगह दिलवाने के लिए हिंदुओं ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 29 जनवरी को निर्मोही अखाड़े ने फैजाबाद कोर्ट में याचिका लगाई। याचिका लगाने वाले रघुवर दास ने अपने दावे में कहा की वह राम जन्मस्थान के महंत हैं। उन्होंने भारत सरकार और मस्जिद के मौजूदा मौलवी मोहम्मद असगर के खिलाफ़ मुकदमा दायर किया। चबूतरे पर स्वामित्व के साथ ही इस पर छत डालने की अर्जी लगाई। इस मामले की सुनवाई इसी वर्ष 24 दिसंबर जो हुई। पंडित हरि किशन बतौर जज इस मामले को देख रहे थे। उन्होंने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद याचिका ही रद्द कर दी। उनका कहना था कि यदि हिंदुओं को चबूतरे पर राम मन्दिर बनाने की अनुमति सांप्रदायिक दंगों को भड़काने के काम करेगी।

जज बोलें समाधान नहीं संभव

निर्मोही अखाड़ा कोर्ट के फैसले से पूरी तरह असंतुष्ट था। उन्होंने दोबारा याचिका दायर की। अब मामला जिला जज कर्नल चेमियर की अदालत में था। कर्नल ने अपना फैसला देने से पहले मस्जिद का दौरा किया। 18 मार्च 1886 को उन्होंने अपना फैसला सुनाया। उनके फैसले से हिंदुओं के मंदिर बनान की उम्मीद टूट गई थी। कर्नल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मंदिर तोड़कर यदि मस्जिद बनाई गई है तो हिंदुओं के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन 356 वर्षों बाद इस मामले का समाधान संभव नहीं है। हालांकि 1858 में हुए दंगे और कोर्ट केस के चलते राम मंदिर का मामला कागजों में दर्ज हो गया था। पहला कानूनी दस्तावे 1858 के दंगे में थानेदार शीतल दुबे की रिपोर्ट को माना गया है।

जब भीड़ ने तोड़ दिए थे मस्जिद के तीन गुंबद

अदालत के इन फैसलों के बाद हिंदुओ का आक्रोश और गहराता चला गया। ठीक 65 वर्ष बाद 1934 में फिर खूनी संघर्ष हुआ। 40 हजार से अधिक हिंदू इस बार मस्जिद को खुद ही ध्वस्त करने के इरादे से इक्कठे हुए। घमासान हुआ और इस बार भीड़ से मस्जिद के तीन गुम्बद तोड़ दिए। इस हमले से ब्रिटिश हुकूमत में खलबली मच गई। आनन फानन में फैजाबाद प्रशासन की मदद से स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए भीड़ को हटवाया गया। फैजाबाद के डीएम ने मस्जिद की मरम्मत करवाई।

मीर बाकी, जिसने तुड़वाया था राम मंदिर, बनाई थी बाबरी मस्जिद

आम जनमानस में यह प्रचलित है कि राम मंदिर तुड़वाने का काम बाबर ने किया था। बाबरी मस्जिद भी बाबर ने ही बनवाई थी। जबकि इतिहासकारों के मुताबिक बाबरी मस्जिद का निर्माण बाबर की सेना में शामिल सेनापति मीर बाकी ने करवाया था। उसे मीर ताशकंद भी कहा जाता था। मूल रूप से वह ताशकंद का निवासी था। यह जगह अब उज़्बेकिस्तान कही जाती है। कहा जाता है कि 1528 मैं बाबर अवध तक पहुंच चुका था इतिहासकार मानते हैं कि बाबर बहुत ही क्रूर शासक था और वह हिंदुओं के सफाई के अभियान पर था। इसी के तहत उसने कई हिंदुओं के मंदिरों को ध्वस्त करवा दिया था और वहां मस्जिदों का निर्माण करवाया था। इसी अभियान के तहत ही अवध जिसे अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है, वहां स्थित राम जन्मभूमि यानी राम मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश भी बाबर का ही था। उसकी सेना में शामिल मीर बाकी ने बाबर के आदेश का पालन करते हुए मस्जिद बनाई थी जिसे ही बाबरी मस्जिद कहा गया है।

अगली सीरीज में पढ़िए औररंगजेब से लेकर अकबर तक का रहा है मंदिर विवाद से नाता…ब्रिटिश हुकूमत की कूटनीति और मंदिर को लेकर हुए प्रयासों के बारे में…

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