नई दिल्ली: सरकार ने दालों की कीमतों को काबू करने के लिए मूंग को छोड़ कर सभी दालों के लिए स्टॉक लिमिट लगा दी है . होलसेलर्स, रिटेलर्स, मिलर्स और आयातक के लिए यह स्टॉक लिमिट लगाई है ताकि मार्च से बढ़ रही दालों की कीमतों को रोका जा सके. यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है. इसे थोक विक्रेताओं, रिटेलर्स, मिल मालिकों और आयातकों पर लागू किया गया है.
सरकार ने रिटेल कारोबारियों के लिए पांच टन स्टॉक की लिमिट तय की है, जबकि थोक कारोबारियों और आयातकों के लिए 200 टन की लीमिट तय की गई है. इसमें किसी एक वैरायटी का स्टॉक 100 टन से ज्यादा नहीं हो सकता है. दाल मिलें भी अपनी कुल सालाना क्षमता का 25 फीसदी से ज्यादा का स्टॉक नही रख पाएंगीं. मंत्रालय के मुताबिक, अगर स्टॉक निर्धारित सीमा से ज्यादा है तो उन्हें उपभोक्ता मामलों के विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर घोषित करना होगा. आदेश की अधिसूचना के 30 दिनों के अंदर स्टॉक को तय सीमा में लाना होगा. मार्च-अप्रैल में दालों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है.
पिछले कुछ महीनों में दाल की कीमतों में तेज इजाफा हुआ है. मंडियों में भी दालें न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा बाकी हैं. अरहर दाल की कीमतें 120 रुपये से ऊपर पहुंच गई हैं. मूंग और मसूर दाल की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. पिछले दो साल से इसके आयात में बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान 34 लाख दालों का आयात किया था. वहीं, 2014-15 में यह बढ़कर 44 लाख टन हो गया था. वर्ष 2015-16 में 56 लाख टन दाल का आयात किया गया था. 2017-18 में इसमें थोड़ी कमी आई थी और यह 54 लाख टन था. दाल की खुदरा कीमतों में लगातार तेजी दर्ज की गई है. खरीफ सीजन में दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य और बढ़ा है.