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Tax collection: सरकार को कर संग्रह के मोर्चे पर राहत, ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू 16.5 फीसदी बढ़ा

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Government tax collection: अप्रैल से अगस्त के दौरान सरकार को 11.8 लाख करोड़ रुपए टैक्स रेवेन्यू मिला है।
चालू वित्त वर्ष के पहले 4 माह में दबाव का सामना करने के बाद केंद्र सरकार की राजकोषीय स्थिति में महत्त्वपूर्ण बदलाव आया। चालू वित्त वर्ष 2023—24 में अप्रैल से अगस्त के बीच सरकार का सकल कर राजस्व 16.5 प्रतिशत बढ़कर 11.8 लाख करोड़ रुपए हो गया है। सकल कर राजस्व में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर दोनों शामिल हैं।

शुद्ध कर प्राप्तियां 14.8 प्रतिशत बढ़कर 8.004 लाख करोड़ रुपए

आंकड़ों के अनुसार शुद्ध कर प्राप्तियां 14.8 प्रतिशत बढ़कर 8.004 लाख करोड़ रुपए रही हैं। यह आंकड़ा पूरे वर्ष के लिए निर्धारित 23.3 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य का 34.5 प्रतिशत है। अगस्त में सालाना आधार पर राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। जिसमें ऊंचे कर संग्रह, खास तौर पर प्रत्यक्ष कर का अहम योगदान है। इसके साथ राज्यों को कर में कम हिस्सा दिए जाने से खासा असर हुआ है। चालू वित्त वर्ष 2023 में जुलाई तक सकल राजस्व मात्र 2.8 प्रतिशत बढ़ा था। जबकि शुद्ध कर राजस्व में 12.6 प्रतिशत की कमी आई थी।

केंद्र सरकार की कुल कर प्राप्तियां 21 प्रतिशत बढ़कर 10.29 लाख करोड़ रुपए हो गईं। अप्रैल-अगस्त 2022 की तुलना में कॉर्पोरेट कर में 15 प्रतिशत और आयकर संग्रह में 36 प्रतिशत तेजी दर्ज की गई है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कॉर्पोरेट कर 2.3 लाख करोड रुपए रहा। वास्तव में अगस्त में दर्ज मासिक संग्रह 62,817 करोड रुपए रहा जो चालू वित्त वर्ष में दूसरा सबसे बड़ा महीना रहा है। इसी अवधि के दौरान व्यक्तिगत आयकर संग्रह 3.6 लाख करोड़ रुपए रहा है। अप्रैल से अगस्त के दौरान सरकार का पूंजीगत व्यय 48 प्रतिशत बढ़कर 3.74 लाख करोड़ रुपए रहा है। जिससे कुल व्यय 20 प्रतिशत बढ़कर 16.71 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है।

3.73 लाख करोड़ रुपए पूंजीगत खातों से खर्च हुए

कुल मिलाकर 12.17 लाख करोड़ रुपए राजस्व खाते और 3.73 लाख करोड़ रुपए पूंजीगत खातों से खर्च हुए हैं। कुल राजस्व में 3.67 लाख करोड़ रुपए ब्याज भुगतान के मद में और 1.80 लाख करोड रुपए सब्सिडी के मध्य में गए हैं। राजस्व बढ़ने से सरकार को राहत मिली है और यह भरोसा जगा है कि चालू वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का 5.9 प्रतिशत का लक्ष्य पूरा कर लेगी। अप्रैल-अगस्त की अवधि में सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर 6.43 लाख करोड़ रुपए हो गया। जो पूरे वर्ष के लिए तय 17.87 लाख करोड़ रुपए के लक्ष्य का 36 प्रतिशत है।

मौजूदा आंकड़ों पर इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि कुल मिलाकर सरकार को राजकोषीय मोर्चे पर फिलहाल चिंता अधिक नहीं दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 की अवधि में बाजार से उधार लेने के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं दिखा है।

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