बाजार:- सरकार निजीकरण को लाने की कवायद में लगी हुई है। वही उसका कहना है कि वह सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण करने की पूरी तैयारी कर चुकी है। वैसे तो सरकार की इस निजीकरण की नीति का बैंक कर्मचारी अलग अलग जगहों पर विरोध कर रहे हैं। विपक्ष लगातार मोदी सरकार को बेचो सरकार बता रहा है। लेकिन सरकार के ऊपर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता दिख रहा है और वह अपनी धुन में मस्त निजीकरण करने की राह पर चल दी है।
वही अब खबर है कि सरकार सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण करना चाहती है और उनसे अपनी पूरी हिस्सेदारी को खत्म करने की तैयारी में है। हालाकि अभी की अगर हम बात करे तो जो कानून इस समय है उसके मुताबिक बैंको से सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदीं से कम नहीं हो सकती है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार इस मानसून सत्र में संसद में एक बिल पेश कर सकती है। सरकार के इस पैंतरे से उसकी बैंक से अपनी हिस्सेदारी को खत्म करने की टेंशन खत्म हो जाएगी और निजीकरण का रास्ता खुल जायेगा। हालाकि अभी सभी बैंको पर एक्ट 1970 लागू है। इस एक्ट के तहत किसी भी सरकारी बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदीं से कम नहीं हो सकती है।
बता दें सरकार बैंको के निजीकरण का फैसला पहले ही ले चुकी है। उनका कहना है कि वह अब बैंको में अपनी हिस्सेदारी 26 फीसदीं बनाए रखेंगे। वही अगर हम सेबी के नियमो पर ध्यान दे तो उनके अनुसार किसी भी प्राइवेट बैंक में प्रमोटर की हिस्सेदारी 26 फीसदीं हो सकती है। सरकार का कहना है कि वह ऐसा इसलिए कर रही है ताकि वह छोटे बैंको का विलय कर उन्हें बड़ा बना सके।