नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना वायरस महामारी का प्रभाव लंबे समय तक झेलना होगा। फिच रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले वित्त वर्ष (2021-22) में भारतीय अर्थव्यवस्था 11 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि दर्ज करेगी। लेकिन उसके बाद भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सुस्त पड़ेगी। फिच का अनुमान है कि यह संकट समाप्त होने के बाद भी भारत की वृद्धि दर महामारी से पूर्व के स्तर से नीचे रहेगी।
फिच की रिपोर्ट ‘भारत मध्यम अवधि की सुस्त वृद्धि की राह पर’ में कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष में अच्छी वृद्धि दर्ज करने के बाद वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सुस्त पड़कर 6.5 प्रतिशत रहेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी में फिच रेटिंग्स ने कहा, ‘‘आपूर्ति पक्ष के साथ मांग पक्ष की अड़चनों…मसलन वित्तीय क्षेत्र की कमजोर स्थिति की वजह से भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर महामारी के पूर्व के स्तर से नीचे रहेगी।’’
फिच ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से भारत में मंदी की स्थिति दुनिया में सबसे गंभीर है। सख्त लॉकडाउन और सीमित वित्तीय समर्थन की वजह से ऐसी स्थिति बनी है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति अब सुधर रही है। अगले कुछ माह के दौरान वैक्सीन आने की वजह से इसे और समर्थन मिलेगा।