कल संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स बढ़ाने का विरोध शुरू हो गया है, रियल एस्टेट के जानकारों के मुताबिक इस फैसले से इस सेक्टर पर बुरा असर पड़ेगा। अब वित्त सचिव टीवी सोमनाथन सरकार के इस फैसले का बचाव करने सामने आये हैं. उन्होंने कहा कि टैक्स लगाए बिना भारत को विकसित देश नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर (LTCG) बढ़ाने के कदम का बचाव का बचाव किया।
सोमनाथन ने एक साक्षात्कार में कहा कि किसी भी सरलीकरण का मतलब जरूरी नहीं है कि दरों में कमी हो। यह एक जटिल पूंजी कर व्यवस्था की सफाई है और यह अब सरल और एक समान है। दीर्घावधि सूचीबद्ध इक्विटी पर वैश्विक मानकों के अनुसार हमारे कैपिटल गेन्स टैक्स की दर कम है।” बता दें कि कैपिटल गेन किसी भी उस लाभ को संदर्भित करता है जो ‘पूंजीगत संपत्ति’ की बिक्री से उत्पन्न होता है।
2024-25 के केंद्रीय बजट में LTCG को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि निर्दिष्ट वित्तीय संपत्तियों पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स अब 20 प्रतिशत है। प्रतिभूतियों में विकल्प की बिक्री पर सुरक्षा लेनदेन कर (STT ) को विकल्प प्रीमियम के 0.0625 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.1 प्रतिशत कर दिया गया। प्रतिभूतियों में वायदा की बिक्री पर, इसे 0.0125 प्रतिशत से बढ़ाकर उस कीमत का 0.02 प्रतिशत कर दिया गया जिस पर ऐसे वायदा कारोबार किए जाते हैं।
उच्च एलटीसीजी से देश के मध्यम वर्ग के प्रभावित होने की बात पर वित्त सचिव ने कहा, “कैपिटल गेन किसी भी तरह से मध्यम वर्ग का विशेषाधिकार नहीं है। मध्यम वर्ग कैपिटल गेन्स टैक्स का मुख्य अर्जक नहीं है, यह दर्शाता है कि मध्यम वर्ग की आड़ लेकर अमीर दावा करते हैं कि यह मध्यम वर्ग का मुद्दा है। पूंजीगत लाभ कमाने वाले गरीब नहीं हैं और हम उन पर उचित दर से कर लगाते रहेंगे।