अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले में रिश्वतखोरी के मामले में प्रधानमंत्री मोदी जी के बेहद करीबी कहे जाने वाले उद्योगपति गौतम अडानी पर अभियोग लगाए जाने के बाद भाजपा ने उनका जोरदार तरीके बचाव किया है। अभियोग में अडानी और उनके अन्य सहयोगियों पर प्रतिभूति और वायर धोखाधड़ी तथा गलत बयानों के माध्यम से अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों से धन प्राप्त करने के उद्देश्य से रिश्वतखोरी की योजना बनाने का आरोप लगाया गया है।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने अभियोग के समय और इसके जारी होने के पीछे राजनीतिक उद्देश्यों पर सवाल उठाया है। उन्होंने कांग्रेस पर अपने राजनीतिक अजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मामले का लाभ उठाने का आरोप लगाया। मालवीय ने टिप्पणी की कि संसद सत्र और डोनाल्ड ट्रम्प की तराष्ट्रपति के रूप में ताजपोशी से ठीक पहले रिपोर्ट का समय कई सवाल खड़े करता है। कांग्रेस जॉर्ज सोरोस और उनके गुट के हाथों में एक मोहरा बनने को तैयार है, यह बहुत कुछ कहता है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा जेपीसी जांच की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए अमित मालवीय ने कहा कि रमेश ने अदालती दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि अभियोग में लगाए गए आरोप आरोप हैं और जब तक दोषी साबित नहीं हो जाते, तब तक प्रतिवादियों को निर्दोष माना जाता है।” श्री अडानी के खिलाफ आरोपों का जिक्र करते हुए मालवीय ने आगे कहा कि ये आरोप सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) को 12 गीगावाट बिजली आपूर्ति के समझौतों से जुड़े हैं, जिसमें भारतीय और अमेरिकी दोनों कंपनियां शामिल हैं। इस समझौते के तहत, अडानी ग्रीन एनर्जी और अमेरिकी अक्षय ऊर्जा फर्म एज़्योर पावर को क्रमशः 8 गीगावाट और 4 गीगावाट बिजली आपूर्ति आवंटित की गई थी। “चूंकि बिजली महंगी थी, इसलिए एसडीसी (राज्य बिजली वितरण कंपनियां) खरीदने को तैयार नहीं थीं। इसलिए, अडानी (एक अमेरिकी फर्म, एज़्योर पावर के साथ मिलीभगत करके) ने 21 जुलाई से 22 फरवरी के बीच ओडिशा (बीजेडी शासित), तमिलनाडु (डीएमके), छत्तीसगढ़ (कांग्रेस) और आंध्र प्रदेश (वाईएसआरसीपी) में स्थित एसडीसी को 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बराबर का भुगतान किया (जो कि आंध्र प्रदेश के बाद सबसे बड़ा है)।