Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की तैयारी चरम पर हैं। भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए इस समय सभी दल अपनी चाल में हैं। वहीं नीतीश कुमार की एक चाल से भाजपा अब बैकफुट पर आ गई है। नीतीश के ओबीसी वोट पैतरे से मोदी और शाह बेबस नजर आ रहे हैं। वहीं कांग्रेस भी चिंता में आ गई है।
भाजपा के शीर्ष नेताओं में ओबीसी के वोटों को जोड़े रखना बड़ी चुनौती
नीतीश कुमार अपनी इस चाल से 80 प्रतिशत वोटरों को साधने की कोशिश में हैं। भाजपा के शीर्ष नेताओं में ओबीसी के वोटों को जोड़े रखना बड़ी चुनौती है। जो साल 2019 में 2009 की तुलना में दोगुनी है। भाजपा में इस बात को लेकर विचार चल रहा है कि आरक्षण का लाभ लेने वालों में अधिकांश संख्या यादव और कुर्मी बिरादरी की है।
नीतीश कुमार ने राजनीति में एक बार फिर मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए सबसे कारगर तीर छोड़ा है। इस तीर से विरोधियों के हौसले पस्त हुए हैं। वहीं गठबंधन में नीतीश कुमार का कद बढ़ा है। जाहिर है विरोधी दल भाजपा के लिए इसका काउंटर तलाश पाना आसान नहीं लग रहा है। इंडिया गठबंधन में हाशिए पर धकेले जा रहे नीतीश गठबंधन में धमाकेदार वापसी कर चुके हैं। ऐसे में उनकी राष्ट्रीय फलक पर राजनीति करने की इच्छा सफल होगी या नहीं ये तो आने वाला समय बताएगा। लेकिन नीतीश कुमार ने अपनी चाल से राजनीति परिदृश्य को अपनी तरफ मोड़ दिया है।
आरक्षण का लाभ लेने वालों में अधिकांश संख्या यादव और कुर्मी
भाजपा, नीतीश कुमार की राजनीति का तोड़ ढूंढने के प्रयास में है। आरक्षण की सीमा 65 प्रतिशत बढ़ाकर नीतीश कुमार ने फिर पिछड़े और अति पिछड़ों को साधने की कोशिश की है। नीतीश आर्थिक रूप से पिछड़ों को साथ करके 75 प्रतिशत आरक्षण की बात पर कैबिनेट की मुहर लगा चुके हैं। इसलिए बीजेपी यादव और मुसलमान की संख्या में गलत तरीके से इजाफे को मुद्दा बनाने की कोशिश में है।
बीजेपी में इस बात को लेकर विचार चल रहा है कि आरक्षण का लाभ लेने वालों में अधिकांश संख्या यादव और कुर्मी की है। बाकी जातियों को गोलबंद में इस नाम पर किया जा सकता है कि आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने के बाद अति पिछड़े आरक्षण का लाभ लेने से वंचित रह जाएंगे। जाहिर सी बात है कि भाजपा इस समय कई मुद्दों पर सुरक्षात्मक कदम उठा रही है।
नीतीश के मास्टर स्ट्रोक का जवाब तलाशना आसान नहीं?
नीतीश कुमार ने 94 लाख ऐसे लोगों में सभी जातियों को रखा है जिनकी आमदनी 6 हजार तक है। इसमें सभी जाति के लोग शामिल हैं। विधानसभा में केंद्र के पाले में गेंद डालते हुए नीतीश ने कह दिया केन्द्र सरकार अगर विशेष राज्य का दर्जा देती है तो इस काम को जल्द किया जाएगा। वरना इसे पूरा करने में पांच साल का समय लगेगा। नीतीश कुमार ने घर के बगैर रहने वालों के लिए जमीन खरीदने की राशि 60 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपए तक करने की घोषणा की है। नीतीश की इन सभी योजनाओं का तोड़ निकालने में भाजपा को पसीना आ रहा है। लेकिन फिलहाल बिहार में इसकी काट पाना आसान नहीं दिख रहा हैं।
नीतीश कुमार ने इस दांव से एक बार फिर जोरदार वापसी की तैयारी
बीजेपी के एक नेता के अनुसार, नीतीश कुमार अपनी एक चाल से 80 फीसदी वोटरों को साधने की कोशिश में हैं। इसका काट खोज पाना भाजपा के लिए आसान नहीं। जाहिर है नीतीश कुमार स्पेंट फोर्स हो गए हैं। प्रशांत किशोर सरीखे राजनीतिक पंडित नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव 2019 के बाद लगभग खत्म मानने लगे थे। लेकिन नीतीश कुमार ने इस दांव से एक बार फिर जोरदार वापसी की तैयारी की है। ये ऐसा दांव है जो पूरे देश में वह नजीर की तरह पेश कर सकते हैं और कह सकते हैं कि बिहार ऐसा पहला राज्य है जिसने जातीय सर्वे सफलतापूर्वक कराया है। आर्थिक व शैक्षणिक आधार पर लोगों की गणना कर विकास की राह में पहल की है।