रानीखेत-उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जिसे पांडवों ने एक रात में स्थापित किया था. कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने शिव मंदिर का एक ही रात में निर्माण कर दिया था. हम बात कर रहे हैं रानीखेत के प्रसिद्ध बिनसर महादेव मंदिर(Binsar Mahadev Mandir) की. यह मंदिर न केवल अपने वास्तु कला के लिए जाना जाता है अपितु यह मंदिर अपने रमणीय और आलौकिक प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. देवदार ,पाइन और ओक के जंगल से घिरा हुआ यह मंदिर आप को न केवल आत्मीय शांति का अहसास कराता है बल्कि यहां का मनोहारी दृश्य आपको यहां बार-बार आने के लिए मजबूर करता है.
बिनसर महादेव मंदिर (Binsar Mahadev Mandir) की धार्मिक मान्यताएं
यूं तो उत्तराखंड के मंदिर अपने धार्मिक मान्यता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक कुमाऊं के सबसे सुंदर इलाके रानीखेत में स्थित है बिनसर महादेव मंदिर. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण को लेकर कई तरह की किंवदंतियों हैं. कुछ लोग पांडवों के द्वारा इस मंदिर का निर्माण एक रात में बताते हैं. तो कुछ का मानना है कि राजा पी तूने अपने पिता बिंदुसार की याद में इस मंदिर का निर्माण कराया था. शायद यही वजह है कि इस मंदिर को बिंदेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. कुछ लोगों की मान्यता है कि बहुत समय पहले सोनी गांव में मनिहार लोग रहा करते थे. उनमें से एक की दुधारू गाय रोजाना जंगल में घास चरने जाया करती थी. लेकिन घर आते समय उस गाय का दूध निकला हुआ रहता था. कई दिन बीत जाने के बाद मनिहार ने 1 दिन गाय का पीछा किया. उसने देखा कि एक पत्थर की शिला पर गाय अपना दूध छोड़ रही है.
जिससे यह देख कर मनिहार निकाय को धक्का देकर कुल्हाड़ी से उस पत्थर पर वार किया. कहा जाता है कि कुल्हाड़ी के वार से उस पत्थर से रक्त बहने लगा. जिसके बाद मनिहार जब घर आया तो उस रात उसके स्वप्न में उसे गांव छोड़ने का आदेश हुआ. जिसके बाद वह गांव छोड़कर कहीं और चला गया. यही नहीं कहा जाता है कि निसंतान दंपत्ति के सपनों में जब इस स्थान पर मंदिर बनाने की बात हुई. तब दंपतियों ने अपनी हैसियत के हिसाब से इस जगह पर मंदिर का निर्माण कराया. जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई. सन 1959 में इस छोटे मंदिर को पंच दशनाम जूना अखाड़ा के बाबा मोहन गिरी ने इसका जीर्णोद्धार कराया. कहा जाता है कि 1970 में इस मंदिर में एक अखंड ज्योत प्रज्वलित की गई थी जो आज तक चल रही है.
मंदिर की वास्तु कला और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम
बिनसर महादेव मंदिर (Binsar Mahadev Mandir) अपनी वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है. इस मंदिर में भगवान गणेश माता गौरी और महेश मर्दिनी की मूर्तियां अद्भुत मूर्तिकला का परिचय देती हैं. यही नहीं यह मंदिर अपने चारों ओर स्थित घनघोर जंगल के कारण एकांत पसंद लोगों की पहली पसंद है. यहां से आप हिमालय के चौखंबा त्रिशूल पंचाचुली नंदा देवी नंदा कोट जैसे चुटियों का दीदार कर सकते हैं कहा यह भी जाता है कि यदि मौसम साफ हो तो आप यहां से बाबा केदारनाथ के मंदिर का भी दर्शन कर सकते हैं.