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बिहार आरक्षण मामला: सुप्रीम कोर्ट का जातिगत आरक्षण रद्द करने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार

supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए 65 प्रतिशत कोटा खत्म कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर नोटिस भी जारी नहीं किया, लेकिन अपील की अनुमति दे दी और कहा कि याचिकाओं पर सितंबर में सुनवाई होगी।

हालांकि, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार की 10 याचिकाओं पर सुनवाई करने पर सहमति जताई। बिहार सरकार द्वारा 2023 तक राज्य में जाति सर्वेक्षण कराने के बाद राज्य में पिछड़े वर्गों, अत्यंत पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए कोटा 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया था। बिहार में नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में कोटा वृद्धि लागू थी।

राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने पीठ से हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का आग्रह किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के एक ऐसे ही मामले का हवाला दिया और कहा कि शीर्ष अदालत ने उस मामले में उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है। सीजेआई ने कहा, “हम मामले को सूचीबद्ध करेंगे, लेकिन हम (उच्च न्यायालय के फैसले पर) कोई रोक नहीं लगाएंगे।” बता दें कि अपने 20 जून के फैसले में, उच्च न्यायालय ने घोषणा की कि पिछले साल नवंबर में राज्य के द्विसदनीय विधायिका द्वारा सर्वसम्मति से पारित संशोधन संविधान के “अधिकार से बाहर” और “समानता खंड का उल्लंघन” थे।

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