मौसम की पहली बारिश ने अयोध्या में राम पथ को गड्ढायुक्त कर दिया। इससे पहले राम लला के गर्भ गृह में बरसात के पानी का रिसाव भी हुआ जिसकी शिकायत राम मदिर के मुख्य पुजारी ने मीडिया के सामने की, जिसके बाद विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू किया और भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू किये। गर्भ गृह में पानी के रिसाव पर तो निर्माण कार्य का बहाना लेकर मामले को ठंडा करने की कोशिश की गयी लेकिन राम पथ ढहने की घटना पर सरकार के पास कहने को कुछ नहीं था इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और जल निगम के कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके मामले को ठंडा करने की कोशिश की। योगी सरकार ने इस मामले में छह इंजीनियरों को निलंबित कर दिया। बता दें कि राम पथ के सिविल वर्क का काम गुजरात की एक फर्म ने किया था जिसे नोटिस जारी किया गया है।
राम पथ के निर्माण पर करीब 100 करोड़ से अधिक खर्च किए गए थे लेकिन पहली बारिश में ही राम पथ पर 13 जगहों पर बड़े बड़े गड्ढे हो गए। निलंबित अधिकारियों में पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता ध्रुव अग्रवाल, सहायक अभियंता अनुज देशवाल और कनिष्ठ अभियंता प्रभात पांडे के अलावा जल निगम से एग्जीक्यूटिव इंजिनियर आनंद कुमार दुबे, असिस्टेंट इंजिनियर राजेंद्र कुमार यादव और जूनियर इंजिनियर मोहम्मद शाहिद को आगे की जांच तक उनके पद से मुक्त कर दिया गया है।
ये तो मानसून की शुरुआत है और अयोध्या के राम पथ पर गड्ढों की घटना ने एक बार फिर शहर के बुनियादी ढांचे की तैयारियों को लेकर लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को उजागर किया है। अधिकारियों ने सड़क ढहने का मुख्य कारण निर्माण कार्य की खराब गुणवत्ता बताया है। अयोध्या में विशिष्ट बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अपनी भूमिका के लिए जानी जाने वाली गुजरात की फर्म को निर्माण चरणों के दौरान बनाए गए गुणवत्ता और मानकों के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस दिया गया है। बता दें कि हाल ही में अयोध्या में नवनिर्मित रेलवे स्टेशन की एक दीवार भी गिर गई थी।