उत्तराखंड के चमोली जिले के बद्रीनाथ में हुए हिमस्खलन में सेना की आवाजाही में सहायता के लिए बर्फ हटा रहे 57 मजदूर फंस गए। 16 मजदूरों को अबतक बचा लिया गया है जबकि माना गांव के पास सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के शिविर पर हिमस्खलन के बाद 41 लोग फंसे हुए हैं।
चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने बताया कि सुबह जब माना और माना दर्रे के बीच हिमस्खलन हुआ, तब 57 मजदूर शिविर में थे। मजदूरों को सड़क निर्माण के लिए एक निजी ठेकेदार ने काम पर रखा था।
लगातार बर्फबारी और बारिश का सामना करते हुए, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमें देहरादून से लगभग 300 किलोमीटर दूर हिमस्खलन स्थल के लिए रवाना हुईं। भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और बीआरओ की टीमें भी मौके पर मौजूद हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संवाददाताओं से कहा, “हिमस्खलन में फंसे 57 बीआरओ मजदूरों में से 16 को बचा लिया गया है। बाकी को बचाने के प्रयास जारी हैं। बचाव अभियान में आईटीबीपी और अन्य विभागों की मदद ली जा रही है। हमारा आपदा प्रबंधन विभाग और पूरा प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।” उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास है कि सभी को जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जाए।” मुख्यमंत्री ने फंसे मजदूरों को निकालने के लिए किए जा रहे बचाव प्रयासों का भी जायजा लिया। वे प्रयासों की समीक्षा करने के लिए राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष पहुंचे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि आज जोशीमठ (उत्तराखंड) के माना क्षेत्र में दुर्भाग्यपूर्ण हिमस्खलन हुआ है, जिससे बीआरओ का जीआरईएफ कैंप प्रभावित हुआ है। स्थिति के बारे में सीएम धामी से बात की। प्रशासन प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। स्थानीय सेना इकाइयों द्वारा बचाव कार्य भी जारी है। सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके फंसे हुए कर्मियों को बचाने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। इससे पहले चमोली के जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने कहा था कि भारी बारिश और बर्फबारी के कारण जिले के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।