प्रयागराज। अतीक अहमद का अपराध की दुनिया में करीब 43 साल से आतंक था। इस दौरान उसके सफेदपोशों से भी संबंध बने। अब जबकि माफिया अतीक अहमद और भाई अशरफ पुलिस रिमांड पर बड़े राज खोल रहे थे। ऐसे में इन सफेदपोशों को अपने राजफाश होने का खतरा सताने लगा। बताया जाता है कि सफेदपोशों ने राजफाश होने के डर से ही अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करवाई है। हत्याकांड में कई बड़े नाम सामने आ रहे हैं। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है।
उमेश पाल हत्याकांड का राज उगलवाने के लिए चार दिन की पुलिस रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शहर के बीच मंडलीय अस्पताल के गेट पर सुरक्षा घेरे में हत्या की वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
शक की सुई प्रयागराज के कई रसूखदार सफेदपोशों की ओर
इस दुस्साहसिक दोहरे हत्याकांड के पीछे शक की सूई रसूखदार सफेदपोशों की ओर घूमने लगी है। एक दिन पहले ही धूमनगंज थाने में पूछताछ में माफिया ने कई बिल्डरों और बड़े लोगों से अपने रिश्तों का खुलासा किया था। आशंका है कि राज खुलने के डर से माफिया और उसके भाई की जान ली जा सकती है। फिलहाल पुलिस इस पहलू पर पैनी नजर रखे हुए है। अतीक अहमद ने रिमांड के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए और प्रयागराज समेत यूपी भर में अपनी काली कमाई के बल पर खड़े किए गए आर्थिक साम्राज्य में पार्टनर के तौर पर कई गणमान्यों के नाम गिनाए थे।
यह वो नाम हैं जिन्होंने अतीक के काले धन को अपनी कंपनियों में लगाया है। ऐसी दो सौ से अधिक सेल कंपनियों के बारे में पता चला था। रियल एस्टेट कारोबार में अतीक की कमाई खपाने वालों के अलावा कई सफेदपेशों तक आंच आने लगी थी। इस तरह के पचास से अधिक नामों का अतीक ने खुलासा किया था। अपराध की दुनिया में दखल रखने वाले माफिया के कई राजनीतिक दलों के नेताओं से भी रिश्ते रहे हैं। अतीक राजनीतिक दलों को साधने में भी बखूबी माहिर था। यही वजह थी कि दो दशकों तक उसकी अंगुलियों पर सरकारें नाचती रहीं और आला पुलिस का अधिकारी उसके सियासी रसूख के आगे घुटने टेकते रहे।
102 आपराधिक मामले दर्ज
अतीक पर हत्या, अपहरण, वसूली, हमला और जमीन कब्जा समेत 102 आपराधिक मामले दर्ज थे। चार दशक पहले महज 17 वर्ष की उम्र में हत्या सरीखी वारदात को अंजाम प्रयागराज में सनसनी मचाने वाले अतीक ने अपराध की दुनिया में कदम रखा तो वह आगे बढ़ता ही गया। एक के बाद एक हत्या, अपहरण, जमीन पर कब्जा, हत्या के प्रयास सरीखी सौ से अधिक वारदात को अंजाम देने वाले अतीक ने क्षेत्रीय दलों की सरकारों को अपनी अंगुलियों पर नचाया।
लेकिन, इसके पीछे जमीने हड़पना और बिल्डरों की कंपनियों में खपाना उसका सबसे बड़ा खेल रहा। योगी सरकार में उसके आर्थिक साम्राज्य पर लगातार चोट पड़ने और 12 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त किए जाने के बाद भी उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा था।