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तमिलनाडु में भगवानों का मिलन

आर्टिकल/इंटरव्यूतमिलनाडु में भगवानों का मिलन

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तमिलनाडु में भगवानों का मिलन

  • नवेद शिकोह
तमिलनाडु में भगवानों का मिलन

ये बात सभी कहते हैं कि दक्षिण में सुपर स्टार रजनीकांत को भगवान की तरह माना जाता है। और रजनीकांत भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भगवान की संज्ञा देते हैं। काफी अरसे से भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के कसीदे पढ़ रहे रजनीकांत एक बार तो ये तक कह चुके हैं कि इन दोनों राजनेताओं की जोड़ी भगवान कृष्ण और अर्जुन की तरह है।

दूसरी तरफ भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी इस अभिनेता पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान दिखाई देता रहा है। दीवानगी की हद तक लोगों की पसंद बने अपने-अपने क्षेत्रों के भगवानों के बीच पुराने रिश्ते हैं, लेकिन तमिलनाडु की चुनावी बेला में ये रिश्ते और भी प्रगाढ़ होते जा रहे हैं। चाहने वालों की तादाद होने का मतलब ये नहीं कि उंगलियां ऊठाने वाले नहीं हैं। अभिनेता रजनीकांत को दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिये जाने की घोषणा के बाद कहा जा रहा है कि सत्ताधारियों और सुपरस्टार के बीच गिव एंड टेक के इस कमिटमेंट में भाजपा ने तमिलनाडु के चुनाव में लाभ हासिल करने का पासा फेंका है। आलोचक ये भी कह रहे हैं कि तमिलनाडु और दक्षिण के अन्य राज्यों में चुनावों और चुनावी घोषणा के बाद दक्षिण/तमिलनाडु के सुपरहिट रजनीकांत को दादा साहब फाल्के पुरस्कार की घोषणा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।

हर बड़ी से बड़ी फिल्मी हस्ती की ख्वाहिश होती है कि उसे फिल्म जगत का श्रेष्ठ सम्मान माना जाने वाला दादा साहब फाल्के सम्मान हासिल हो। रजनीकांत की भी ये हसरत जरूर होगी। कला की दुनिया में बुलंदियों पर पंहुच चुके इस अभिनेता की एक और तमन्ना रही है। रजनीकांत के बयान इस बात का एहसास कराते रहे हैं कि वो सुपर हिट अभिनेता के साथ सुपर हिट राजनेता के रूप में भी स्थापित होना चाहते हैं।

पिछले कई वर्षों से दक्षिण में भी अपना वजूद क़ायम करने की लक्ष्य प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रही भाजपा को विभिन्न सूबों की क्षेत्रीय राजनीति की बहुत बारीक पकड़ है। उत्तर के सबसे बड़े सूबे में क्षेत्रीय राजनीति की जातिवादी गणित को तोड़कर भाजपा ने यूपी के पिछले चुनाव में सफलता हासिल कर एक जटिल लक्ष्य हासिल किया था। इसी तरह अब वो गैर हिन्दीभाषी दक्षिण के राज्यों में क्षेत्रीय दलों के वर्चस्व को साइड लाइन कर खुद छा जाना चाहती है। कुछ वर्षों से ये पहला मौका है जब तमिलनाडु में कोई एक भी ऐसा राजनेता नहीं है जिसे सूबे के लोग दीवानगी की हद तक मानते हों। भाजपा वर्तमान में दक्षिण राज्यों में चुनावी वैतरणी पार करने को लेकर चुनावी अखाड़े में तो दांव लगा ही रही है साथ ही दक्षिण के राज्यों में खुद का स्थाई वर्चस्व क़ायम करने की पुरानी कोशिश को भी गति देना चाहती है। बताया जाता है कि भाजपा अपनी इस कोशिश में अभिनेता रजनीकांत को भविष्य में तमिलनाडु के शीर्ष भाजपा नेता के तौर पर स्थापित करना चाहती है। बड़े अभिनेता से बड़े नेता बनने की ख्वाहिश पूरी करके भाजपा भविष्य में इस करिश्माई अभिनेता के सामने तमिलनाडु का भाजपा अध्यक्ष बनने का भी प्रस्ताव रख सकती है।

फिलहाल तो भाजपा सम्मान के जरिए अपने विरोधी दलों को पछाड़कर आगे निकलने की जुगत मे है। भगवान की तरह समझे जाने वाले रजनीकांत को फिल्म के क्षेत्र में विशिष्ट सेवाएं देने वाला दादा साहब फाल्के सम्मान देने की घोषणा से तमिलनाडु चुनाव में भाजपा का कुछ लाभ होगा या नहीं ये तो वक्त तय करेगा। लेकिन ये बात साफ है कि भाजपा नेतृत्व का हर दांव सधा हुआ होता है। इस बार भाजपा ना सिर्फ अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांगेस को बल्कि सहयोगी और विरोधी DMK और AIADMK जैसे तमिलनाडु के स्थापित क्षेत्रीय दलों को भी एक अति लोकप्रिय अभिनेता की गोट से पीटना चाहती है।

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