depo 25 bonus 25 to 5x Daftar SBOBET

शेयर बाज़ार मीडिया का तीसरा छल

आर्टिकल/इंटरव्यूशेयर बाज़ार मीडिया का तीसरा छल

Date:


शेयर बाज़ार मीडिया का तीसरा छल

  • नवेद शिकोह
शेयर बाज़ार मीडिया का तीसरा छल

आपसी प्रतिद्वंदिता और महाराष्ट्र सरकार से एक न्यूज चैनल के टकराव के बाद अभी हाल मे ही आम जनता पहली बार टीआरपी घोटाले से वाकिफ हुई थी। दर्शकों/पाठकों के बड़े दायरे के झूठे दावों वाले ऐसे घोटाले हर तरफ हैं।

हमेशा से आरोप लगते रहे हैं कि अखबार गलत प्रसार के दावे करते हैं और तीन को तेरह बताते हैं और अब वेब मीडिया भी अपने इन बड़े भाइयों (पुराने मीडिया माध्यमों) के नक्शेकदम पर चल रही है। इसकी तिकड़मबाजी की अलग कहानी है। यहां भी बड़ा दायरा (रीच) दिखाने के लिए फर्जी हिट्स/लाइक शेयर के बाजार की तरह सज गई हैं। पैसा खर्च कीजिए तो डिजिटल माध्यमों में भी तीन को तेरह दिखाने की तमाम तरकीबें मिल जाएँगी । गूगल उसी को वरीयता देगा और ज्यादा देर तक लोगो तक परोसेगा जिसे लोग देख रहे होंगे, डाउनलोड कर पढ़ रहे होंगे या देख रहे होंगे, लाइक कर रहे होंगे, रिएक्ट कर रहे होंगे। बस इस बातों को ध्यान मे रखते हुए ही बहुत चतुराई के साथ वेब/डीजिटल मीडिया की दुनिया में तिकड़मबाजी का साम्राज्य तैयार किया गया है। जो पेड है। यानी आप जितना पैसा खर्च कीजिएगा उतने हजार/लाख हिट्स आपको मिल जाएंगे। जब आप एक पैक पे करोगे तो पाठक या दर्शक बनकर एक प्रोफेशल वर्ग आपका लिंक वेबसाइट पर लपकेगा और फिर गूगल अपनी फितरत ( सिस्टम) के मुताबिक आपकी स्टोरी लिंक को और आगे तक परोसेगा।

गौरतलब है कि वेबमीडिया का साफ-सुथरा तरीका ये है कि जब एक-एक शब्द/कंटेंट/वीडियो/तस्वीर.. सबकुछ मूल/खूद का/ताज़ा.. होता है और उसे लोग पढ़ते/देखते हैं, पसंद करते हैं, रिएक्ट करते हैं, लाइक या शेयर करते हैं तो गूगल उसे और गति देता है। इस सच्चाई के विपरीत ही अखबारों के फर्जी प्रसार या टीवी की फर्जी टीआरपी की तरह वेब मीडिया में फर्जी हिट्स/लाइक्स और शेयर बाजार मीडिया के तीसरे दौर में तीसरे छल का तिकड़म पैदा कर रहा है।
हमे अपने गिरेबान में झांकना ज़रूरी है। दुनिया को नंगा करने वाले हम लोग भी नंगे ही हैं। झूठ के हमाम में हम सब नंगे हैं।

अच्छा और सच्चा व्यंग्यकार पहले खुद पर व्यंग्य करता है और दूसरों का मजाक उड़ाने से पहले ख़ुद का मज़ाक उड़ाता है। पत्रकारिता का ये ऐब है कि वो अपने पेशे की कमियों को छिपा लेने की कोशिश करता है। जब प्रतिस्पर्धा में आपसी टकराव होता है या पानी सिर से ऊपर आ जाता है तब ही मीडिया में पत्रकारिता या पत्रकारों के जुर्म की दास्तान बयां होती है।

मीडिया की ताकत और उसकी हैसियत उसके पाठक, दर्शक, वीवर या टीआरपी होती है। ये ताकत किसके पास कितनी है। यहीं से झूठ का सफर होता है। यहां टीआरपी, रीडरशिप या हिट्स के झूठे दावे झूठ पर आधारित होते हैं। ऐसा छल पुराना है जो हर दौर में मीडिया के प्रत्येक माध्यम की विश्वसनीयता को कमजोर करता है। ऐसे छल पर चर्चा अपने गिरेबान में ना झांकने की परम्परा को तोड़ने जैसा है। मैं भी ऐसे छल की दुनिया का एक छलिया हूं।

जो मीडिया ख़राब व्यवस्था के ख़िलाफ सवाल उठाती है। घपले-घोटालों का पर्दाफाश करती है। सच को पेश करने के लिए झूठ के पर्दे उठाती है.. वही मीडिया खुद भी बेदाग नहीं है। पत्रकारिता उस डाक्टर जैसी है जो पेशेंट से सिगरेट ना पीने की हिदायत कर खुद सिगरेट का कश लगाता है।

मीडिया का सबसे पुराना चेहरा पत्र-पत्रिकाएं अपने शुरुआती दौर से झूठे प्रसार के दावे के लिए बदनाम है। इसीलिए कहावत बन गई कि जिस तरह महिला अपनी सही उम्र नहीं बताती। मर्द अपना सही वेतन ज़ाहिर नहीं करता। इसी तरह संपादक या प्रकाशक हमेशा अपने अखबार के प्रसार का गलत दावा करता है। तीन का तेरह बताकर पत्र-पत्रिकाएं विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करती हैं। टीआरपी घोटाला जांच के दायरे में है और अब पैसे, तकनीक और छल के माध्यम से सोशल मीडिया और वेबमीडिया में भी फर्जी लाइक/कमेंट/हिट्स और शेयर का फर्जीवाड़ा परवान चढ़ रहा है जिसके कारण एक ये भी नुकसान हो रहा है कि जनता की पसंद और सच को दबा कर झूठ को उभारने की कोशिश की जा रही है।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

मेरठ से अरुण गोविल: मिलेगी जीत या टूटेगा वर्चस्व

अमित बिश्नोईलगातार तीन बार से किसी एक सीट पर...

दिलीप घोष ने पूछा ममता के पिता का पता, कांग्रेस को घेरते घेरते गिर गयी भाजपा

मंडी का भाव पूछकर कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत भाजपा...

बिल्डरों की मनमानी पर रेरा ने चलाया बुलडोज़र

अक्सर ये देखा गया है कि डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा...

रात्रि 11.15 मिनट से शुरू होगा होलिका दहन, बनेंगे कई शुभ योग

भद्रा का साया, एक घंटे ही रहेगा महूर्त इस वर्ष...