Illustration By Hasan Zaidi
अमित बिश्नोई
1608 में ब्रिटेन की महारानी से अनुमति लेकर ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में अंग्रेज़ भारत व्यापार करने पहुंचे और धीरे धीरे पूरे हिंदुस्तान में फैलते गए, हिंदुस्तान के लगभग सभी क्षेत्रों पर कंपनी ने अपना सैनिक और प्रशासनिक अधिपत्य जमा लिया, अंततः 1858 में कंपनी के विलय के बाद हिंदुस्तान में आधिकारिक रूप से ब्रिटिश राज स्थापित हो गया. मगर 1857 से ही अंग्रेज़ों को देश से भगाने का संघर्ष शुरू भी हो चूका था, लगभग सौ साल चले इस संघर्ष में लाखों देशवासियों की कुर्बानी के बाद 1947 को देश को अंग्रेज़ों से छुटकारा मिला। अंग्रेज़ जब हिंदुस्तान को लूटने के बाद देश छोड़ कर गए तब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल जो कि एक दक्षिणपंथी थे ने कहा था कि हिन्दुस्तानियों में हुकूमत करने की योग्यता नहीं है लेकिन समय का पहिया घूमा और चर्चिल के कहे गए शब्दों के 75 साल बाद आज उन्हें के देश का प्रधानमंत्री एक भारतवंशी है. आज दुनिया के कई देश हैं जहाँ कोई भारतवंशी उस देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान है.
बात भारतवंशी ऋषि सुनक की हो रही है जिन्हे कल ही किंग चार्ल्स ने ब्रिटेन की बागडोर सौंपी है. कितना अद्भुत नज़ारा था जब ब्रिटेन के राजघराने का मुखिया एक भारतीय मूल के व्यक्ति को देश की बदहाली रोकने, समस्याओं से निजात दिलाने के लिए ज़िम्मेदारी सौंप रहा था, यह वही राजघराना था जिसने ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत भेजा था और जिसने व्यापार के नाम पर छल कपट से भारत की धरती को सौ साल तक बंधक बना कर रखा. आज उसी धरती से जुड़ा एक लाल उनकी डूबती हुई नय्या बचाने आया है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक भारत के लिए मित्र साबित होंगे या नहीं यह एक अलग विषय है लेकिन भारतियों के लिए इतना ही काफी है कि एक भारतवंशी अब ब्रिटेन का राजकाज संभालेगा। कहीं न कहीं यह एक आत्म संतुष्टि का मामला है, आत्मसम्मान का मामला है, सैकड़ों सालों तक हिन्दुस्तानियों पर अत्याचार करने वाले अंग्रेज़ों को आज एक भारतवंशी की ज़रुरत पड़ गयी. बहुत से लोगों का मानना है कि ऋषि सुनक के पीएम बनने से भारत को कोई फायदा नहीं पहुँचने वाला। भारतीय बिला वजह भारतवंशी भारतवंशी बोलकर खुश हो रहे हैं, ऐसे लोगों से सिर्फ एक ही बात कहनी है कि जब कोई अपना तरक्की करता है, किसी ऊंचे मुकाम पर पहुँचता है तो खुश होना लाज़मी है, टीम इंडिया विदेशों में मैच खेलने जाती है वहां मैदानों पर ऐसे लोगों की बहुत बड़ी संख्या होती है जो उस देश के नागरिक होते हैं मगर साथ में भारतवंशी भी और इसी रिश्ते से वो टीम इंडिया का समर्थन करते हुए नज़र आते हैं.
ऋषि सुनक भारत के लिए बेहतर हों या न हों मगर एक भारतवंशी हैं, यहीं बात भारतियों के लिए काफी है. रही बात ऋषि सुनक के सामने समस्याओं की तो उन्हें भी मालूम है कि उनके सर पर काँटों भरा ताज है. और यह ताज उन्होंने अपनी मर्ज़ी से पहना है. उन्हें मालूम है कि देश की आर्थिक हालत बहुत खराब है, सबसे बड़ी समस्या ऊर्जा की और दुनिया में ब्रिटेन की गिरती हुई साख की है. ऊर्जा के मामले में ब्रिटेन के हालात बहुत खराब हैं और सरकार में इस बात की चर्चा चल रही है कि रोज़ाना कुछ घण्टों का पावर कट किया जाय. किसी ब्रिटिश नागरिक के लिए कल्पना से भी परे है कि उसे कुछ घंटे बिना बिजली के गुज़ारने के पड़ सकते हैं. हालाँकि अभी यह बात मेज़ तक सीमित है, बाहर निकलकर नहीं आयी है क्योंकि सरकार को मालूम है कि यह बात बाहर आने से क्या परिणाम हो सकते हैं. सत्ताधारी दक्षिणपंथी कंज़र्वेटिव पार्टी पूरी तरह बिखरी हुई है, क्या आपने सोचा होगा कि ब्रिटेन में इतनी जल्दी जल्दी प्रधानमंत्री बदल सकते हैं, शायद नहीं। समस्याएं विकराल है, सुनक के लिए राह आसान नहीं है, देश के हालात तो खराब हैं ही, पार्टी में भी सबकुछ ठीकठाक नहीं है. चर्च लॉबी भी सुनक के खिलाफ अभी से एक्टिव हो गयी है, सुनक इन सभी मोर्चों पर कैसे निपटेंगे यह तो समय ही बताएगा लेकिन एक भारतवंशी ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बन गया यह हमारे लिए गर्व की बात है.