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जाने ‘ताऊते’ चक्रवात (Tauktae cyclone) से किसे होगा फायदा

आर्टिकल/इंटरव्यूजाने ‘ताऊते’ चक्रवात (Tauktae cyclone) से किसे होगा फायदा

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जाने ‘ताऊते’ चक्रवात (Tauktae cyclone) से किसे होगा फायदा

धीरज उपाध्याय

अरब सागर से उठा ‘ताऊते’ चक्रवात (Cyclone Tauktae) महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और गुजरात मे तबाही मचाने के बाद कमजोर पड़ा है और अब इसका असर दिल्ली और देश के बाकी राज्यो में बारिश के रूप मे देखा जा रहा है। एक त्तरफ तो जहां इस तूफान के चलते जान माल का भारी नुकसान हुआ हैं, तो वही दूसरी तरफ ये कृषि और उन किसानों के लिए वरदान साबित होगा हैं जो बारिश पर निर्भर रहते हैं। चक्रवात के चलते हुई बारिश से खेतों को बुवाई के लिए जरूरी नमी मिल गयी हैं जिससे अब गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में अब कपास के साथ  अरहर, मूंग, उरद, बाजरा और धान की खेती समय से होगी, और इसका रकबा भी बढ़ेगा।

स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत के अनुसार देश के अधिकतर राज्यो में मई महीने मे हो रही बारिश कृषि उत्पादन और खासकर खरीफ की फसलों के लिए फायदेमंद साबित होगी और यह सीधे तौर पर Tauktae तूफान और पश्चिमी विक्षोभ का असर है। 

दलहन उत्पादन बढ्ने की उम्मीद –

कृषि एक्सपर्ट के अनुसार हालांकि अभी खरीफ़ की बुवाई मे थोड़ा समय हैं लेकिन, इस बारिश का फायदा दलहन के किसानो को जरूर मिलेगा। बता दे कि इस समय सभी दालों के रेट आसमान छू रहे है, लगभग सभी दालें 2020-21 के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) MSP से ऊपर बिक रही हैं। जिससे किसानों को इसका फायदा मिला है और इसी के चलते इस वर्ष भी किसान दलहन का रकबा बढ़ाने की सोच रहे हैं। किसानों के अनुसार उनका ज़ोर इस खरीफ़ सत्र में धान के साथ अरहर, मूंग और उरद की बुवाई पर रहेगा।

खेती का रकबा बढ़ने का अनुमान

हालांकि कृषि जानकारों के मुताबिक इस समय केवल कपास की बुआई का समय है लेकिन इस बारिश से सभी फसलों को फायदा होगा। मौसम की जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट्स के अनुसार, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्य जो खेती के लिए वर्षा पर निर्भर रहते है उनके लिए ये बारिश वरदान से कम नहीं हैं। बता दे कि इस वर्ष भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने भी देश मे (South-West Monsoon) दक्षिण पश्चिम मानसून के  सामान्य रहने का अनुमान जताया है। देश मे होने वाली कुल बारिश का लगभग 85% वर्षा, 1 जून से 30 सितंबर के बीच होती है। जिससे देश की बिजली परियोजनाओं की आपूर्ति को जल मिलने के साथ हमारे सभी तालाबो और पीने के पानी के स्त्रोत रिचार्ज हो जाते है। अच्छे मॉनसून के कारण भारत मे खाद्यान उत्पादन बढ़ता है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मे भी तेजी आती हैं। 

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