अमित बिश्नोई
भारत में लंका दहन का बड़ा महत्त्व है लेकिन जब लंका दहन ऐसा हो तो मज़ा दोगुना हो जाता है. बात एशिया कप के फाइनल की हो रही है जहाँ सिर्फ 21. 3 ओवर का खेल हुआ और कोलंबो के प्रेमदासा स्टेडियम में टीम इंडिया ने इतिहास रचते हुए श्रीलंका को 10 विकेट से पराजित कर अपना आठवाँ एशिया कप खिताब हासिल किया। इस ऐतिहासिक जीत के हीरो टीम इंडिया के मियाँ भाई मोहम्मद सिराज रहे जिन्होंने अपनी गेंदबाज़ी से ऐसा कहर ढाया कि श्रीलंका के 6 विकेट छठे ओवर में सिर्फ 12 रन पर ढेर हो चुके थे और इसमें से मियां भाई के खाते में पांच विकेट थे जिसमें खेल के चौथे और उनके दूसरे ओवर में चटकाए गए चार विकेट भी थे, बाद में उन्होंने अपने पंजे में एक विकेट और जोड़ा।
इसके बाद हार्दिक ने श्रीलंका का काम तमाम किया और श्रीलंका 15.2 ओवर में सिर्फ पचास रनों पर ढेर हो गयी. इसके बाद लक्ष्य को ईशान किशन और शुभमन गिल ने सिर्फ 6.1 में पूरा कर लिया और गेंदों के हिसाब से (263) सबसे बड़ी जीत हासिल की.
सिराज ने तो गेंदबाज़ी से चमत्कारी प्रदर्शन करते हुए रिकॉर्ड्स की झड़ी लगा दी। चौथे ओवर की पहली ही गेंद पर पथुम निसांका आउट कर जो शुरुआत की वो छठी गेंद पर धनंजय डिसिल्वा को आउट कर ख़त्म हुई, इस बीच तीसरी गेंद पर सदीरा समरविक्रमा और चौथी पर चेरित असलांका को भी चलता कर श्रीलंकाई खेमे में खलबली मचा दी। इसके बाद छठे ओवर में दसुन शनाका को आउट कर अपना पंजा पूरा किया। इसी के साथ ही सिराज ने सबसे कम गेंदों में पांच विकेट हासिल करने वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। इससे पहले ODI क्रिकेट में श्रीलंका के ही चामिंडा वास ने 16 गेंदों पर पांच विकेट हासिल किये थे, इसी के साथ मोहम्मद सिराज एक ओवर में चार विकेट चटकाने वाले पहले भारतीय गेंदबाज भी बन गए। सिराज ने 12वें ओवर में कुसल मेंडिस को बोल्ड कर छठा विकेट हासिल किया। सिराज ने वनडे एशिया कप की एक पारी में बेस्ट बॉलिंग फिगर्स का भी रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने सिर्फ 5.2 ओवर में 7 रन देकर 6 विकेट चटकाए। इससे पहले श्रीलंका अजंता मेंडिस ने 15 साल पहले भारत के खिलाफ कराची में 8 ओवर में 6 विकेट निकाले थे।
एशिया कप में इस तरह का एकतरफा फाइनल कभी नहीं खेला गया. श्रीलंका को तो छोड़िये भारत ने भी नहीं सोचा होगा कि खिताबी जीत कुछ इस तरह हासिल होगी। यकीनन यह खिताबी जीत विश्व कप के नज़रिये से भारत के बहुत बड़ी जीत है। उसने इस एशिया कप में पाकिस्तान को पहले 228 रनों से हराया और आज 6 बार की एशिया कप चैंपियन श्रीलंका को जो शर्मनाक हार दी है उससे टीम का हौसला बहुत बढ़ेगा। इस तरह की सफलताएं चमत्कारिक प्रदर्शन से ही आती हैं और दोनों ही मैचों चमत्कारिक प्रदर्शन हुए हैं विशेषकर गेंदबाज़ों द्वारा। आम तौर पर भारत की बल्लेबाज़ी को ज़्यादा मज़बूत माना जाता है लेकिन एशिया कप में भारतीय गेंदबाज़ों विशेषकर तेज़ गेंदबाज़ों ने जो प्रदर्शन दिखाया है उसे देखकर विश्व कप में आने वाली टीमों को सोच में डाल दिया होगा और यकीनन भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी को उन्हें सम्मान देना होगा। इस एशिया कप में पाकिस्तानी तेज़ गेंदबाज़ी की बड़ी चर्चा थी मगर कमाल दिखाया भारतीय पेस बैटरी ने।
बुमराह के भारतीय आक्रमण से जुड़ने से टीम को बहुत फायदा मिला है, बुमराह की गैर मौजूदगी में भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी का प्रदर्शन उतना प्रभावशाली नहीं रहा था, इस दौरान भारतीय जीत में स्पिनर्स का बड़ा योगदान थे लेकिन बुमराह के वापस आते ही भारतीय पेस अटैक में एक नयी जान आ गयी है. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि मोहम्मद शामी जैसे गेंदबाज़ को फाइनल इलेविन में जगह नहीं मिल पा रही है. भारतीय टीम को ये ऐतिहासिक जीत बहुत बहुत मुबारक। हालाँकि श्रीलंकन फैंस को बड़ी निराशा मिली होगी। इस तरह के फाइनल की उम्मीद तो आयोजकों ने भी नहीं की होगी, यकीनन मैच इतनी जल्दी सिमट जाने से कुछ आर्थिक नुक्सान भी हुआ होगा। फाइनल से पहले सभी उम्मीद लगाए हुए कि श्रीलका अपने प्रदर्शन को आगे बढ़ाएगी और फाइनल में भारत को ज़ोरदार टक्कर देगी, आम तौर पर एशिया कप में अब तक रहे खाली स्टेडियम में आज काफी संख्या में दर्शक थे मगर उन सभी को निराशा हुई. देखा जाय तो टीम इंडिया की खिताबी जीत के अलावा इस एशिया कप ने सभी को निराश ही किया। चलिए एशिया कप की कहानी ख़त्म हो चुकी है अब हमें विश्व कप में जीत की कहानी लिखनी है, उम्मीद है कि एशिया कप के फाइनल से उस पटकथा की शुरुआत हो चुकी है.