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जीएचएमसी चुनाव सिर्फ एक निगम का चुनाव नहीं

आर्टिकल/इंटरव्यूजीएचएमसी चुनाव सिर्फ एक निगम का चुनाव नहीं

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जीएचएमसी चुनाव सिर्फ एक निगम का चुनाव नहीं

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव भाजपा के लिए हैदराबाद और तेलंगाना में सियासी आधार बढ़ाने का अवसर
पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तक ने किया प्रचार

सुनील शर्मा

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद हो रहे ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव देश की राजनीति का केंद्र बन गये हैं। हैदराबाद निकाय की 150 सीटों पर 1 दिसंबर को मतदान होना है। यह चुनाव जहां केसीआर और असदुद्दीन ओवैसी के लिये प्रतिष्ठा बचाने का प्रश्न बन गया है। वहीं भाजपा इस निगम चुनाव में जीत हासिल कर एक तीर से कई निशाने साधना चाहती है। माना जा रहा है कि जीएचएमसी चुनाव, 2023 में होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनाव की दिशा तय कर देंगे। यही कारण है कि भाजपा इन चुनाव को जीत कर हैदराबाद और तेलंगाना के भीतरी इलाकों तक अपना मजबूत आधार बनाना चाहती है। वहीं बिहार चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम को मिली सफलता के बाद सतर्क हुई भाजपा उसे आने वाले बंगाल चुनाव में सिर उठाने का मौका नहीं देना चाहती। इसके लिये जरूरी है कि भाजपा ओवैसी के गढ़ में जीत हासिल करे। इस चुनाव में जीत से कई अप्रत्यक्ष लाभ उठाने की चाह में जुटी भाजपा ने सामान्य माने जाने वाले ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में दिग्गज भाजपा नेताओं की फौज उतार दी है।

तेलंगाना में डबका विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित भाजपा ने हैदराबाद निकाय चुनाव की सभी 150 सीटों पर उतरकर विपक्षियों को सीधी चुनौती दी है। भाजपा के सामने खड़ी केसीआर सभी 150 सीटों पर और एआइएमआइएम 51 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

अब से पहले शायद ही ऐसा कभी हुआ होगा कि नगर निगम चुनाव में राष्ट्रीय नेताओं का दखल रहा हो। क्षेत्रीय मुद्दों पर लड़ा जाने वाले नगर निगम के चुनावों में क्षेत्रीय नेता ही कमान संभालते हैं और प्रचार करते हैं। लेकिन हैदराबाद में हो रहे ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव आम नगर निगम चुनाव की तरह नहीं हैं। इस चुनाव में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तक ने भाजपा के प्रचार में रैलियां कीे हैं। वहीं बिहार चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव को हैदराबाद चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गयी। क्षेत्रीय मुद्दों के साथ राष्ट्रीय मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाया गया। वहीं फ्री-पानी से लेकर फ्री बिजली और कोरोना वैक्सीन सहित तमाम वादे भाजपा ने किए हैं।

आखिर भाजपा के लिये ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं यह समझ पाना जरा भी मुश्किल नहीं है। कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है। इस नगर निगम में हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मलकजगिरी और संगारेड्डी जैसे महत्वपूर्ण जिले आते हैं। इस पूरे इलाके में 24 विधानसभा क्षेत्र और तेलंगाना के 5 लोकससभा सीटें शामिल हैं। ऐसे में दक्षिणी राज्यों में मौजूदगी दर्ज कराने को हरसंभव प्रयास में जुटी भाजपा इन चुनाव के सहारे आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआइएमआइएम) के बिहार चुनाव में मिली सफलता से मिले हौसले को भी तोड़ना चाहती है। अगर ओवैसी को गृह राज्य में शिकस्त मिली तो राष्ट्रीय स्तर पर इसका असर पड़ना तय है। वहीं हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की बात कह भाजपा ने हिंदुत्व की लहर को हवा दे दी है।

भाजपा के लिये ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में जीत हासिल करना उसके लिये भविष्य के कई दरवाजे खोलने वाला साबित होगा। एक ओर जहां वह असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआइएमआइएम) को उसके ही गढ़ में हराकर, राष्ट्रीय राजनीति में उसके बढ़ते कदमों को रोक देगी। ऐसे में बंगाल चुनाव में एआइएमआइएम को सफलता हासिल करने से रोका जा सकता है। वहीं 2023 में होने वाले तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले हैदराबाद और तेलंगाना के भीतरी इलाकों तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में भाजपा को सफलता मिलेेगी। वहीं हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने की चर्चा कर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व की भावनाओं को जगाने का प्रयास किया है। अब 1 दिसंबर को होने वाले मतदान में मतदाता किसके पक्ष में रहेंगे यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा। लेकिन यह निश्चित है कि यह ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव भविष्य की राजनीति को चेहरा प्रदर्शित करने में कामयाब जरूर होंगे।

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