अमित बिश्नोई
माना कि इस मैच के नतीजे का कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि आप फाइनल में एक हार के साथ जाय. बड़ी सीधी सी बात है, अगर फाइनल में टकराने से पहले जीत के साथ जातें हैं तो यकीनन टीम का मनोबल ऊंचा रहता है और फिर एशिया कप के फाइनल में आपका मुकाबला श्रीलंका से है जिसे अपनी घरेलू कंडीशंस का अच्छे से पता है और जिसका वो लगातार फायदा भी उठाती रही है, इस एशिया कप में उसने दिखाया भी है कि अपने मैदानों पर वो कितने खतरनाक हैं. सुपर 4 में भले ही वो भारत से हारी मगर मैच टक्कर का था.
आप कह सकते हैं कि रोहित शर्मा ने बेंच स्ट्रेंथ को चेक किया और विराट, बुमराह जैसे खिलाड़ियों को रेस्ट देकर तिलक वर्मा का डेब्यू कराया लेकिन यही बात तो बांग्लादेश पर भी लागू होती है, उसके मुख्य तेज़ गेंदबाज़ शोरीफुल इस्लाम और तस्कीन अहमद नहीं खेले, अनुभवी बल्लेबाज़ मुशफ़ीक़ुर्रहीम भी टीम में नहीं थे. तो ऐसा तो नहीं था कि आपने कमज़ोर टीम उतारी और बांग्लादेश ने मज़बूत। मैच भले ही रोमांचक हुआ मगर हार तो मिली। मैच तो पाकिस्तान और श्रीलंका के बीच भी रोमांचक हुआ था मगर उसे हार मिली जिसकी वजह से वो फाइनल से बाहर हुआ.
देखने वाली बात ये है कि भले बल्लेबाज़ी में विराट नहीं थे, हार्दिक नहीं थे मगर रोहित शर्मा ने क्या किया, के एल राहुल का एक पारी खेलकर कई फ्लॉप शो देने का सिलसिला तो जारी है, सूर्यकुमार की 3डी स्पेशलिटी कहाँ गयी. ODI फॉर्मेट में वो कब रन बनाना शुरू करेंगे और जिसके लिए उन्हें कब तक मौके मिलते रहेंगे। तिलक वर्मा जिस तरह गेंद को छोड़ते हुए आउट हुए वो भी अजीब ही ढंग था क्योंकि गेंद में कोई मूवमेंट नहीं थी, सफ़ेद गेंद की क्रिकेट में इस तरह से आउट होने के मौके बहुत कम देखने को मिलते हैं.
रविंद्र जडेजा बल्ले से पूरे एशिया कप में नाकाम रहे, शार्दुल भी बल्ले से विफल नज़र आये. हमारे पुछल्ले बल्लेबाज़ इतने गए गुज़रे हो गए हैं कि दो ओवर में 17 रन भी नहीं बना सकते। ऐसे में हमें नसीम शाह याद आते है जो ऐसे मौकों पर चौके छक्के जड़कर अपनी टीम को कई जीत दिला चुके हैं. मोहम्मद शामी तो जैसे बल्लेबाज़ी भूल ही चुके हैं, ऐसा नहीं कि उन्हें बल्लेबाज़ी नहीं आती, पहले उनके बल्ले से लप्पे निकलते रहते थे लेकिन पिछले कई सालों से ऐसा लगता है जैसे उन्हें सिर्फ गेंदबाज़ी करनी है, बल्लेबाज़ी से उनका कोई वास्ता नहीं है. प्रसिद्द कृष्णा ने दो गेंदें खेलीं और दोनों डॉट रहीं। एक ऐसा मैच जिसे शुभमन गिल ने अकेले दम पर भारत के लिए बनाया और अक्षर पटेल ने भी अच्छा साथ दिया मगर जीत की रेखा पार नहीं कर पाए.
शुभमन गिल ने फिर साबित किया कि क्यों उन्हें भारतीय बल्लेबाज़ी का भविष्य कहा जाता है. ये ODI में उनका पांचवां शतकीय प्रहार है और रन चेस में पहला। पूरे मैच के दौरान उनकी बल्लेबाज़ी में जहाँ धैर्य दिखा वहीँ आक्रमकता भी नज़र आयी. पारी को बनाने और उसे आगे बढ़ाने की कला उन्होंने विराट कोहली से बखूबी सीखी है. भारतीय बल्लेबाज़ी को लेकर चिंता इसलिए भी लाज़मी है क्योंकि इस एशिया में तीसरी बार है जब पूरी टीम आउट हुई है. भारत की बैटिंग लाइन अप को देखते हुए इस बात पर हैरानी ज़रूर होती है. आगे विश्व कप के रूप में बहुत बड़ा इवेंट होने वाला है ऐसे में कुछ सीनियर बल्लेबाज़ों द्वारा कभी ख़ुशी कभी गम का माहौल बनाना अच्छी बात नहीं। उम्मीद है बांग्लादेश की हार को टीम इंडिया फ़ाइनल में नहीं ले जाएगी और जिस तरह पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन किया था कुछ वैसा ही प्रदर्शन करके अपना आठवाँ एशिया कप उठाएगी.