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कांग्रेस की BJY और यूपी की सियासत

आर्टिकल/इंटरव्यूकांग्रेस की BJY और यूपी की सियासत

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अमित बिश्नोई
कांग्रेस पार्टी की या फिर कहिये कि राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा देश में लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बनी हुई है, यह यात्रा अभी ब्रेक मोड में हैं क्योंकि यात्रा में भारत यात्रियों के रात के विश्राम और आराम के लिए साथ चल रहे 60 कंटेनरों का रखरखाव किया जा रहा है. यात्रा को आगे पहाड़ी राज्यों से गुज़रना होगा जहाँ मौसम बदला हुआ होगा। ब्रेक के बाद यात्रा 3 जनवरी से दिल्ली से शुरू होकर यूपी में प्रवेश करेगी जिसका बहुत बड़ा राजनीतिक महत्त्व है. कांग्रेस पार्टी ने यात्रा में शामिल होने के लिए अखिलेश यादव, मायावती, जयंत चौधरी, ओम प्रकाश राजभर, सतीश चंद्र मिश्रा, लेफ्ट के अतुल अनजान और दूसरी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को निमंत्रण भेजा है लेकिन खबर आ रही है कि अखिलेश यादव, मायावती और जयंत चौधरी यूपी से गुजरने वाली यात्रा में शामिल नहीं होंगे.

रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के तरफ से इंकार की बात स्पष्ट रूप से सामने आयी है, उन्होंने पहले से तय कार्यक्रमों का हवाला देकर यात्रा से बचने की कोशिश की है वहीँ अखिलेश और मायावती के भी यात्रा में शामिल होने की सम्भावना न के बराबर है. हालाँकि सपा की तरफ से कहा जा रहा है कि उनकी तरफ से प्रतिनिधित्व ज़रूर होगा, अब यह प्रतिनिधित्व कौन करेगा यह अभी पता नहीं चला है, वैसे कांग्रेस पार्टी ने शिवपाल यादव को अलग से निमंत्रण भेजा है इसलिए हो सकता है वो यात्रा में शामिल होकर खुद का और सपा का प्रतिनिधित्व एकसाथ करें।

जहाँ तक बसपा का सवाल है तो मायावती वैसे भी ऐसे किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होती, अब बात यह है कि क्या वो सतीश चंद्र मिश्रा को यात्रा में जाने की अनुमति देंगी। वैसे यात्रा में बसपा प्रतिनिधत्व होना काफी मुश्किल है क्योंकि वहां पर चंद्रशेखर आज़ाद के शामिल होने की पूरी सम्भावना है और ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म पर बसपा नहीं दिखाई देती जहाँ पर दलितों की राजनीती करने वाला कोई और नेतृत्व मौजूद होता है. वैसे भी मायावती यह कभी नहीं चाहेंगी उनकी तरफ से ऐसा कोई सन्देश जाय कि वो कांग्रेस पार्टी के साथ हैं, एक साल बाद लोकसभा चुनाव हैं, पिछली बार सपा की साइकिल का सहारा लेकर मायावती अपने वजूद को बचाकर उससे पल्ला झाड़ चुकी हैं, इसलिए सपा से अब किसी तरह कोई उम्मीद करना उनके लिए संभव नहीं और कांग्रेस की मदद करना उनके लिए अपने पैर में कुल्हाड़ी मारना जैसा होगा।

वैसे कांग्रेस पार्टी को भी मालूम है कि यात्रा का समर्थन करना या उसमें नज़र आना सपा और बसपा के लिए राजनीतिक रूप से संभव नहीं। सच मानिये तो कांग्रेस पार्टी चाहती भी नहीं कि कम से कम यूपी में ये दोनों पार्टियां यात्रा में दिखें, आमंत्रण तो कांग्रेस पार्टी का एक राजनीतिक दांव है. उसे तो यह सन्देश देना है कि देश में नफरत के खिलाफ लड़ाई में सिर्फ वही खड़ी है. उसे यह भी मालूम है कि पार्टी को पुराने दिनों की तरफ अगर जाना है तो यूपी में उसका दिखना बहुत ज़रूरी है. पिछले विधानसभा की बात करें तो वो काफी हद तक इस मकसद में कामयाब भी हुई थी. प्रियंका गाँधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी यूपी के लोगों की ज़बान पर चढ़ गयी थी, यह तो चुनाव के दौरान स्थिति ऐसी बन गयी थी कि मुकाबला सीधा भाजपा और सपा के दरमियान बन गया था जिसका नुक्सान कांग्रेस पार्टी के साथ ही बसपा को भी बुरी तरह हुआ था, मुस्लिम समुदाय ने एकतरफा तौर पर सपा का समर्थन किया था, ऐसा समर्थन सपा को इससे पहले कभी नहीं मिला और न ही आगे मिलने की उम्मीद है यह बात चुनाव के कुछ दिनों बाद ही पता चलने लगी, लोगों को एकतरफा समर्थन पर अफ़सोस भी हुआ.

बहरहाल कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा लोगों का ध्यान तो बटोर ही रही है, अब सवाल यह है कि यात्रा के दौरान जो लोग यात्रा से जुड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं वो क्या आने वाले चुनाव में कांग्रेस पार्टी के साथ भी जुड़ेंगे। हालाँकि कांग्रेस की यह सारी कवायद 2024 के लिए है लेकिन भारत जोड़ो यात्रा का कांग्रेस को कुछ फायदा मिलने वाला है या नहीं इसका अंदाजा अगले साल कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में हो जायेगा। इसमें दो राज्य कांग्रेस के पास हैं और दो भाजपा के पास. देखना होगा कि इन राज्यों में सत्ता की शिफ्टिंग होगी या नहीं.

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