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संयोग तो टीम इंडिया के पक्ष में हैं

आर्टिकल/इंटरव्यूसंयोग तो टीम इंडिया के पक्ष में हैं

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अमित बिश्नोई

ICC विश्व कप की औपचारिक शुरुआत तो 5 अक्टूबर को इंग्लैंड और न्यूज़ीलैण्ड के बीच मैच से अहमदाबाद में होगी लेकिन वार्म अप मैचों के रूप में विश्व कप की शुरुआत आज से यानि 29 सितम्बर से हो गयी है, आज तीन मैच खेले जा रहे हैं, फिर 30 सितम्बर को दो मैच होंगे. इसके बाद 2 अक्टूबर को तीन और फिर तीन अक्टूबर को दो वार्म आप मैच खेले जायेंगे। सारी टीमें भारत पहुँच चुकी हैं लेकिन घायल खिलाड़ियों की संख्या कम नहीं हो रही है, भारत ने कल अपने फाइनल स्कॉयड का एलान किया और अनफिट अक्षर पटेल की जगह रविचंद्रन अश्विन को शामिल किया, उधर साऊथ अफ्रीका के कप्तान बावुमा अचानक घर वापस लौट गए और अब टीम की कप्तानी एडेन मारक्रम करेंगे। खिलाडियों को बदलने की कल अंतिम तारीख थी, अब किसी खिलाड़ी को बदलने के लिए ICC से विशेष अनुमति लेनी पड़ेगी। फिलहाल जिस तरह से पिछले कुछ महीनों से खिलाड़ी अनफिट हो रहे हैं उसे देखते हुए तो लगता है कि विश्व कप के दौरान भी खिलाड़ियों के बदलने का सिलसिला जारी रहेगा। बहरहाल चोट तो खेल का हिस्सा है, इसपर बात करना बेकार है, बात अगर करनी है तो इस बात पर होनी चाहिए कि मेज़बान टीम इंडिया का प्रदर्शन कैसा रहेगा, फाइनल में कौन सी दो टीमें पहुँच सकती हैं या फिर अंतिम चार में किन टीमों को जगह मिल सकती है.

कहते हैं कि संयोग का बड़ा महत्त्व होता है, कुछ संयोग ऐसे बनते हैं जो किसी को भी अर्श पर पहुंचा सकते हैं तो किसी को फर्श पर. बात अगर हम टीम इंडिया की करें तो चारो तरफ हरियाली है दिखाई दे रही है, कहीं पर अगर कुछ हिस्सा सूखा भी है तो वो हरियाली से ढका हुआ है, उम्मीद है कि भारतीय टीम के पक्ष में जो संयोग बनते या बने हुए दिख रहे हैं उनमें ये हरियाली उस छोटे से सूखे हुए हिस्से को ढके ही रहेगी। ऊपर से नीचे तक जितने भी बॉक्स हैं सबमें सही टिक का निशान लगा हुआ है. हर खिलाड़ी अपनी प्रचंड फार्म में नज़र आ रहा है, फिर वो चाहे बल्लेबाज़ हो या फिर गेंदबाज़। बल्लेबाज़ों में सैकड़े मारने की होड़ लगी है तो वहीँ गेंदबाज़ों में पंजा लगाने की. हालत ये है कि खिलाड़ियों की ज़बरदस्त फॉर्म सेलेक्टर्स के लिए सिरदर्द बन गयी है, किसे अंदर रखें किसे बाहर बिठायें

शायद किसी भी विश्व कप से पहले टीम के खिलाडियों की इतनी ज़बरदस्त फॉर्म इससे पहले नहीं रही होगी। रोहित और विराट की तो बात ही अलग है, शुभमन तो इनदिनों इन दोनों से भी आगे निकल गए हैं, हर दूसरे-तीसरे मैच में बल्ले से शतक निकल रहा है. टीम में लम्बे समय के बाद वापसी करने वाले केएल राहुल और श्रेयस अय्यर में नंबर चार की होड़ है, ODI में दोहरा शतक जड़ चुके ईशान किशन को मुश्किल से मौका मिल रहा है, अब तो सूर्यकुमार के बल्ले से भी ODI में रन निकलने लगे हैं, लगता है अब उन्हें ODI क्रिकेट की समझ आ चुकी है। गेंदबाज़ी में भी यही हाल है, तीन पेसरों में शमी सिराज में लड़ाई चल रही है. कुलदीप अनबूझ पहेली बने हुए हैं, जडेजा भी गेंदबाज़ी में कमाल कर रहे हैं और अब अश्विन का भी साथ मिल गया है. अगर कोई कमी दिख रही है तो बस ये कि हमारे आलराउंडर्स, विशेषकर जडेजा और शार्दुल बल्ले से सहयोग नहीं कर पा रहे हैं और यही हाल पुछल्ले बल्लेबाज़ों का है, लक्ष्य का पीछा करने के मौके पर इनसे 10-15 रन बनाने की उम्मीद भी नहीं की सकती।

अब बात हम उस संयोग की करें जिसका ज़िक्र हम ऊपर कर चुके हैं. टीम इंडिया अपना तीसरा विश्व कप जीतेगी इसका ज़बरदस्त संयोग है. आप जानते ही हैं कि विश्व कप में उतरने से पहले टीम इंडिया ICC ODI रैंकिंग में नंबर एक की पोजीशन पर पहुँच चुकी है. सिर्फ ODI ही नहीं, क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में भारत नंबर वन है. हम अगर पिछले 6 विश्व कप को देखें तो पाएंगे कि चैंपियन बनने वाली टीम या तो रैंकिंग में नंबर एक पर थी या फिर नंबर दो पर. पिछले 6 फाइनल में चार बार टॉप रैंक टीम ने खिताब जीता है, ऑस्ट्रेलिया ने तीन और इंग्लैंड ने एकबार जबकि 1999 में ऑस्ट्रेलिया और 2011 में भारत ने जब विश्व कप जीता था तब वो नंबर दो की रैंक पर थीं, अब जबकि भारत नंबर एक पर है तो ये एक ज़बरदस्त संयोग है, सिर्फ यहीं नहीं विश्व कप से पहले एशिया कप और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ODI श्रंखला में भारत ने जिस तरह विरोधियों को शर्मनाक तरीके से पटका है, इतनी बड़ी बड़ी जीत विश्व कप से पहले हासिल करना भी एक सुखद संयोग ही कहा जायेगा। तो कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सितारे तो टीम इंडिया के पक्ष में हैं बस उन्हें गर्दिश से बचाना है.

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