अमित बिश्नोई
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए मतदान ख़त्म होने के बाद राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने अब गुजरात का रुख किया है. हिमाचल की तुलना में गुजरात का महत्त्व भी ज़्यादा है क्योंकि यहाँ पर चुनाव के दौरान हमेशा प्रधानमंत्री मोदी की अस्मिता दांव पर लग जाती है. कांग्रेस नेता राहुल गाँधी जिन्होंने हिमाचल प्रदेश के चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया था मगर गुजरात के चुनाव प्रचार में हिस्सा ज़रूर लेंगे और इसके लिए उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा से ब्रेक लेने का मन बनाया है. राहुल गाँधी 22 नवंबर को गुजरात में दिखेंगे.
भाजपा की परेशानी
हिमाचल का ज़िम्मा इसबार उनकी बहन प्रियंका गाँधी ने संभाल रखा था, हालाँकि हिमाचल कांग्रेस से भी राहुल गाँधी पर काफी दबाव था चुनाव प्रचार करने का लेकिन अपनी धुन के धनी राहुल गाँधी ने यात्रा से ब्रेक नहीं लिया। लेकिन गुजरात के लिए उन्होंने यात्रा के बीच समय निकाला है. राहुल के गुजरात आने की ख़बरों से गुजरात कांग्रेस में उत्साह है, वहीँ भाजपा अबतक लगातार इस बात से परेशान है कि राहुल गाँधी चुनाव प्रचार में हिस्सा क्यों नहीं ले रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी है कि इस बार कांग्रेस पार्टी ने उन्हें गालियां देने के लिए किसी और को ज़िम्मेदारी दे रखी है, उनका इशारा केजरीवाल की तरफ था जो इसबार गुजरात चुनाव में बहुत ज़्यादा एक्टिव हैं, वह लगातार इस कोशिश में हैं कि प्रधानमंत्री के गृह राज्य में वह कांग्रेस को अपदस्थ कर नंबर दो बन जाएँ।
पीएम मोदी किस पर करें हमला
दरअसल राहुल गाँधी के अभी तक प्रचार अभियान से दूर रहने पर भाजपा विशेषकर प्रधानमंत्री मोदी को काफी दिक्कत हो रही है क्योंकि उनकी राजनीती के लिए राहुल गाँधी बहुत ज़रूरी हैं, गाँधी परिवार बहुत ज़रूरी है. राहुल गाँधी अगर गुजरात में एक्टिव नहीं हैं तो प्रधानमंत्री मोदी किस पर हमला करें? अगर गुजरात के लोकल नेतृत्व पर हमला करते हैं तो फिर यह इनके शान के खिलाफ वाली बात हो जाती है. प्रधानमंत्री के भाषणों का केंद्र बिंदु तो राहुल ही रहते हैं, कांग्रेस पार्टी का गुज़रा कल ही रहता है. भले ही पिछले 27 सालों से गुजरात में भाजपा का शासन कायम है लेकिन मोदी और शाह के मुंह से आप यही सुनेंगे कि पहले गुजरात में क्या होता था. आप उनके मुंह से 27 साल पहले नहीं सुनेंगे क्योंकि पहले और 27 साल कहने में बड़ा फर्क है.
कांग्रेस का नाम लेकर डराती है भाजपा
भाजपा आज भी पहले कांग्रेस ने क्या क्या किया कहकर गुजरातियों को डराती है, भाजपा के लिए सत्ता में बने रहने और सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस बहुत ज़रूरी है, किसी भी अन्य राज्य में जहाँ कांग्रेस पार्टी से न होकर किसी अन्य पार्टी से उसकी लड़ाई होती है, भाजपा को बहुत परेशानी होती है, शायद इसीलिए भाजपा भी नहीं चाहती कि गुजरात में आम आदमी पार्टी कांग्रेस का विकल्प बने. प्रधानमंत्री मोदी के भाई प्रह्लाद मोदी ने भी कल कहा था कि गुजरात में कोई तीसरी पार्टी पनप नहीं सकती, उनका इशारा AAP की तरफ ही था. भाजपा नेताओं को मालूम है कि कांग्रेस पर हमला करने के लिए उनके पास मसाला ही मसाला है लेकिन किसी अन्य पार्टी के खिलाफ हमला करते के समय उनपर सामने से वही दांव उलट पड़ने का खतरा रहता है.
मोदी के नक़्शे कदम पर केजरीवाल
केजरीवाल मोदी के नक़्शे कदम पर चल रहे हैं, लोग उन्हें छोटा मोदी कहने भी लगे हैं, अपने भाषणों में वह पीएम मोदी की कॉपी भी करते हैं, प्रधानमंत्री मोदी की तरह केजरीवाल भी लगातार यह बात कहते रहते हैं कि विरोधी उन्हें गालियां देते हैं, AAP संयोजक भी पीएम मोदी की तरह चुनाव के दौरान अपने को बेचारा बताने और बनाने की कोशिश करते हैं, आप ऐसा भी कह सकते हैं कि नरेंद्र मोदी जैसी सियासत करने में केजरीवाल भी माहिर बनते जा रहे हैं, ऐसे मैं भाजपा कभी नहीं पसंद करेगी कि देश में कोई दूसरा मोदी पैदा हो. बहरहाल गुजरात के चुनाव प्रचार को देखा जाय तो यहाँ पर सबसे पीछे कांग्रेस ही नज़र आती है, भाजपा और AAP ने लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए है लेकिन कांग्रेस अब भी उम्मीदवारों के चयन में व्यस्त है. खैर देखना होगा कि भारत जोड़ो से राहुल का ब्रेक लेकर गुजरात आना कांग्रेस के लिए कितना कारामद साबित होता है.