अमित बिश्नोई
कोई भी खिलाड़ी सिर्फ अपने खेल से ही नहीं बड़ा होता है, खेल के साथ उसका किरदार उसको बड़ा खिलाड़ी बनाती है, खेलों की दुनिया में ऐसी कई मिसालें मिलेंगी। एक मिसाल कल दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में भी नज़र आयी जिसने क्रिकेट जैसे जेंटलमैन गेम को शर्मसार किया बल्कि विश्व कप 2023 पर भी एक धब्बा लगा दिया और जिस क्रिकेटर ने ये काम अंजाम दिया वो ICC रैंकिंग का नंबर एक आलराउंडर और बांग्लादेश के कप्तान साकीबुल हसन हैं जिन्होंने कल श्रीलंका के खिलाफ मैच में नियम की आड़ में स्पोर्ट्समैन स्प्रिट की धज्जियां उड़ा दीं. साकिब ने श्रीलंका के बल्लेबाज़ एंजेलो मैथयूज के खिलाफ टाइम्ड आउट की अपील की और मैथयूज के अनुरोध के बावजूद उसे वापस लेने से भी इंकार कर दिया, नतीजा ये हुआ कि 146 साल के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में कोई खिलाड़ी बिना गेंद खेले आउट हुआ। साकिब की इस अपील और अंपायर के फैसले ने एक बहस छेड़ दी कि क्या नियम की आड़ में खेल भावना का जनाज़ा निकाला जा सकता है, क्या अंपायर मैदान में जो घट रहा है जो परिस्थिति दिख रही है उसपर अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं कर सकता, क्या वो मैदान में सिर्फ एक कठपुतली की तरह खड़ा है, उसे नज़र नहीं आ रहा कि हुआ क्या है और क्यों है.
दरअसल मामला श्रीलंका की पारी के 25वे ओवर का है जब सदीरा विक्रमसमारा के आउट होने के बाद श्रीलंका के अनुभवी बल्लेबाज़ एंजेलो मैथयूज मैदान पर आये, सबकुछ ठीक चल रहा था, एक नार्मल परिस्थिति के मुताबिक मैथयूज एक मिनट 50 सेकंड पर क्रीज़ पर पहुँचते हैं और बल्लेबाज़ी के लिए तैयार नज़र आते हैं, बल्ले से स्टान्स भी लेते हैं और गॉर्ड लेने से पहले अपने ढीले हेलमेट को टाइट करने की कोशिश करते हैं तभी हेलमेट का स्टेप टूट जाता है और वो डग आउट की तरफ दूसरे हेलमेट का इशारा करते हैं, खिलाड़ी भागकर हेलमेट लेकर आता है लेकिन इधर शान्तो के कहने पर साकिब अंपायर इरास्मस के पास जाकर टाइम्ड आउट की अपील कर देते हैं, इरास्मस इसे एक मज़ाक समझते हैं मगर साकिब गंभीर हैं. वो साकिब से एकबार फिर पूछते हैं कि are you serious. साकिब मुस्कराते हुए कहते हैं कि very serious. साकिब के इस बर्ताव से अंपायर और मैथयूज दोनों हैरान होते हैं, मैथयूज साकिब के पास जाकर अपील वापस लेने की अपील करते हैं, वो समझाने की कोशिश करते हैं कि ये equipment malfunction है जो किसी के भी साथ हो सकता है लेकिन साकिब अपने हाथ खड़े कर देते हैं और बेहद बेरुखी से अंपायर की तरफ जाने का इशारा कर देते हैं. मैथयूज अंपायर को भी समझाने की कोशिश करते है कि हेलमेट का स्टेप टूटना एक घटना है जो किसी के भी साथ हो सकती है लेकिन इरास्मस उन्हें जाने का इशारा करते हैं क्योंकि चौथे अंपायर ने उन्हें आउट देने को कहा है.
यहाँ मैं साकिब की बात बाद में करूंगा, पहले अम्पायरों की बात कर लूँ. पूरी दुनिया देख रही थी कि क्या हुआ है, मैथयूज कहीं से भी नहीं लग रहा था कि समय बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं, वो समय पर गेंद खेलने के लिए तैयार थे तभी उन्हें अपने हेलमेट में खराबी नज़र आयी और उन्होंने उसे बदलने की कोशिश की. अब इस बात को कोई गलत कैसे कह सकता है, क्या मैथयूज को टूटे हुए हेलमेट के साथ खेलना चाहिए। क्या अम्पायरों को नज़र नहीं आया कि मैदान पर जो भी हुआ वो अनजाने में हुआ जो किसी के भी साथ हो सकता है. क्या विपक्षी कप्तान की अपील पर वो अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे और अगर नहीं कर सकते तो फिर मैदान पर उनकी ज़रुरत क्या है। उनकी जगह रोबोट को खड़ा कर दिया जाय और उसमें नियम फीड कर दिए जांय। वैसे भी मैदान पर अब उनका काम काफी कम हो चूका है, बात बात पर थर्ड अंपायर की तरफ चले जाते हैं. माना कि नियमों का पालन होना चाहिए लेकिन ये भी देखना ज़रूरी है कि नियम तोडा गया है या फिर किसी परिस्थितिवश टूट गया है, खिलाड़ी ने गलत इरादे से नियम तो नहीं तोडा है. बहस चल रही है कि मैथयूज ने गॉर्ड नहीं लिया। क्या ये कहीं लिखा है कि अंपायर से गॉर्ड लिए बिना बल्लेबाज़ पारी की शुरुआत नहीं कर सकता, बल्लेबाज़ गेंद खेलने के लिए तैयार है इसके लिए क्या गॉर्ड लेना ज़रूरी है, आप कैसे कह सकते हैं कि दो मिनट के अंदर पहली गेंद खेलने के लिए मैथयूज तैयार नहीं थे, मान लीजिये मैथयूज के हेलमेट का स्टेप नहीं टूटा होता और गेंदबाज़ गेंद फेंकने के लिए चलता और उसके जूतों में कोई समस्या आ जाती और वो जूते बदलने लगता, ऐसे में क्या फैसला लिया जाता। अब किसने समय बर्बाद किया होता। समय किस तरह खिलाड़ी बर्बाद करते हैं ये खुलेआम देखा जा सकता है, क्रैम्प के नाम पर नौटंकी होती है, मैदान पर तेल मालिश होती है, उस वक्त समय की बर्बादी नज़र नहीं आती है. नियम होते हैं खेल को सही ढंग से चलाने के लिए. ये फैसला करना मैच अधिकारीयों का काम होता है कि खिलाड़ी नियम की अवहेलना जानबूझकर कर रहे हैं या फिर किसी अपरिहार्य कारण से नियम टूटा है.
अब आते हैं साकिबुल हसन पर तो इनका पूरा कैरियर विवादस्पद मामलों से भरा पड़ा है, खेल भावना का ये अक्सर मज़ाक उड़ाते हैं , फैसलों के खिलाफ अम्पायरों से भिड़ना, स्टंप्स पर लात मारना और फैसले के विरुद्ध जाने पर टीम के साथ वाक आउट करने जैसी घटनाएं वो अपने घरेलू क्रिकेट में अक्सर अंजाम देते हैं और इसके लिए वो शर्मिंदा भी नहीं होते। इस अप्रत्याशित घटना के लिए भी वो शर्मिंदा नहीं हैं. उनके मुताबिक ये दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन नियमों के अंतर्गत है. ऐसा फैसला उन्होंने क्यों किया, इसके जवाब में वो कहते हैं कि मैं जंग पर था, मैं सही गलत नहीं जानता, ये नियम था जिसका मैंने इस्तेमाल किया। उनकी इस बेशर्मी पर सिर्फ वही किया जा सकता है जो मैच के बाद श्रीलंकन टीम ने किया। उन्होंने मैच के बाद बांग्लादेशी खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाया और मिलाना भी नहीं चाहिए। अगर कोई गेम्समैनशिप नहीं दिखा रहा है तो उसके साथ भी वैसा ही बर्ताव होना चाहिए। मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में एंजेलो मैथयूज ने इस सवाल पर यही जवाब दिया। और साकिब को जंग तब नज़र आयी जब वो टूर्नामेंट से बाहर हो चुके थे, उससे पहले उनकी जंग वाली स्प्रिट क्या सो रही थी. दरअसल ये उनका फ़्रस्ट्रेशन था जो टीम के घटिया और खुद उनके खराब प्रदर्शन की वजह से बाहर आया. इस मैच से पहले वो बल्ले और गेंद से पूरी तरह फ्लॉप थे. साकिब ने कल जो किया वो भले ही नियम के अंदर हो मगर क्रिकेट के लिए अच्छा नहीं रहा. इस तरह की घटनाएं इस जेंटलमैन गेम को सिर्फ बदनाम ही करेंगी और खिलाड़ियों के बीच कटुता बढ़ाएंगी जो कल भी इस हादसे के बाद साफ़ नज़र आया. साकिब और बांग्लादेश की टीम को भी अब इस तरह की घटनाओं के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि शुरुआत तो उन्होंने की है. साकिब ने कल जो किया उससे उनका क़द छोटा ही हुआ है, लोगों के दिलों में उनके लिए जो सम्मान था उसमें डेंट पड़ा है, यहाँ तक कि बहुत से बांग्लादेशी भी साकिब की इस हरकत से शर्मिंदा हैं. बहरहाल इस हरकत के बाद हम तो साकिब को विलेन ऑफ़ जेंटलमैन गेम ही कहेंगे और उम्मीद करेंगे कि इस तरह की घटना फिर कभी न हो.