अमित बिश्नोई
राजा और तोते की कहानी तो बहुत पुरानी है, असली है या मनगढंत, कहा नहीं जा सकता, बचपन में पिता जी से सुनी थी, वो अक्सर कहानियां सुनाते थे. कल कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने राजा और तोते की कहानी सुनाकर फिर एकबार बचपन की याद ताज़ा कर दी. राहुल ने ये कहानी कल एक प्रेस कांफ्रेंस में सुनाई और पत्रकारों को बताया कि इसमें राजा कौन है और तोता कौन है. अब चूंकि चुनावी माहौल है इसलिए इस कहानी का सन्दर्भ भी राजनीतिक ही था. कांग्रेस नेता ने एकबार फिर अडानी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को घेरा। राहुल गाँधी ने बताया कि मोदी जी की जान तो अडानी नाम के तोते में हैं. हम लोग अबतक राजा पर हमले कर रहे थे जबकि हमले तो तोते पर करने थे. तो अब उनको पता लग चूका है कि राजा को कैसे मारा जा सकता है इसलिए तोते का यानि अडानी का बचना अब मुश्किल है. राहुल गाँधी ने इस कहानी के दौरान ये भी कहा कि अब उन्हें देश की राजनीति का पता चल गया. मुबारक हो! पता तो चला वरना लोग तो आपके बारे में क्या क्या कहते रहते हैं।
बहरहाल राजा और तोते की कहानी का सन्दर्भ इसलिए आया क्योंकि आई फोन बनाने वाली कंपनी एप्पल की तरफ से कल एक अलर्ट आया कि आपका फोन हैक करने की कोशिश हो रही है और ये कोशिश स्टेट स्पोंसर्ड लग रही है, यानि सरकार की तरफ से. इस अलर्ट की ख़ास बात ये थी कि सारी चेतावनियां विरोधी दलों के नेताओं को मिली थीं, एक तरह से कह सकते हैं कि INDIA गठबंधन में शामिल पार्टियों के नेताओं को मिले थे, हालाँकि इसमें कांग्रेस नेताओं की संख्या अधिक है. ज़ाहिर सी बात है बवाल तो मचना ही था, हैकिंग का जिन्न एकबार फिर बाहर निकल आया. सवेरे सवेरे ही राहुल गाँधी ने प्रेस वार्ता बुला ली और राजा और तोते की कहानी सुनाते हुए एप्पल अलर्ट को अडानी से जोड़ दिया और कहा ये तोते का कारनामा है. तोते का कारनामा मतलब राजा का कारनामा। हालाँकि लोगों की समझ में नहीं आया कि एप्पल अलर्ट का राजा और तोते की कहानी से क्या मतलब। जहाँ तक बकौल एप्पल स्टेट स्पोंसर्ड फ़ोन हैकिंग की बात है तो प्रधानमंत्री मोदी पर तो सवाल उठाना समझ में आता है मगर अडानी का इसमें क्या लेना देना। खैर इसको भी राहुल ने आगे थोड़ा क्लियर करने की कोशिश की. राहुल के मुताबिक अभी तक वो ये समझते थे कि देश तीन लोग चला रहे हैं जिसमें नंबर एक पर पीएम मोदी, दुसरे पर अडानी और तीसरे पर अमित शाह लेकिन वो गलत थे, दरअसल पहले नंबर पर अडानी हैं और दूसरे नंबर पर पीएम मोदी। मोदी जी को दूसरे नंबर पर रखकर उन्होंने एप्पल अलर्ट में अडानी का सीधा हाथ होने की बात कहने की कोशिश की.
राहुल गाँधी तो पहले से ही मोदी-अडानी मुद्दे पर काफी मुखर रहते हैं और उन्हें घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते, सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी प्रेस बुलाकर इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को जमकर घेरा और लम्बा चौड़ा भाषण देते हुए कहा कि फ़ोन की जासूसी करने से क्या होगा जब जनता ही आपके खिलाफ खड़ी हो चुकी है. अखिलेश ने याद दिलाया कि पहले भी एक सरकार ने ऐसी कोशिश की थी और उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा था अब इनका नंबर है, इन्हें भी सत्ता से हाथ धोना पड़ेगा। एप्पल की एक अलर्ट ने बैठे बैठे विपक्ष को एक मुद्दा दे दिया कि वो सरकार पर हमला कर सके. हमला भी इतना तेज़ था कि न चाहते हुए भी उसे बचाव में आना पड़ा और जांच कराने की बात कही. ये भी हैरानी वाली बात है कि विपक्ष की बातों और मांगों को हमेशा हवा में उड़ाने वाली मोदी सरकार इतनी जल्दी कैसे जांच को राज़ी हो गयी. हालाँकि साथ ही उसने विपक्ष को आड़े हाथों भी लिया। केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कुछ लोगों को सरकार की आलोचना की आदत सी हो गयी है. एप्पल के अलर्ट में कुछ भी नया नहीं है, उसने 150 देशों में ये अलर्ट भेजा है और ये सिर्फ एक अनुमान पर आधारित है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि ये अलर्ट सिर्फ विरोधी दलों के नेताओं के पास ही क्यों आया. इस बात का वो कोई जवाब नहीं दे पाए.
बहरहाल जांच की बात कहकर सरकार ने फिलहाल इस मुद्दे को दबाने की कोशिश की है, वो नहीं चाहती कि इसपर बात आगे बढ़े और राहुल गाँधी राजा और तोते की तरह कुछ और कहानियां लेकर सामने आएं. वैसे भी इन दिनों कभी पप्पू कहे जाने वाले राहुल गाँधी के दिन आजकल अच्छे चल रहे हैं, लोग उनकी बातों को गंभीरता से लेने लगे हैं. अडानी को लेकर मोदी जी वैसे भी परेशान हैं, कभी दोनों के संबंधों पर कुछ बोलते नहीं और राहुल हैं कि दोनों के संबंधों को साबित करने का कोई मौका छोड़ते नहीं। मोदी सरकार पहले भी मोबाइल फोन की जासूसी के लेकर कटघरे में घिरी थी, जब इज़राइली कम्पनी पेगासस के स्पाई सॉफ्टवेयर को लेकर बवाल मचा था. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था. सरकार ने तब भी इंकार किया था और अब भी इंकार कर रही है हालाँकि उसने इस बात से कभी इंकार नहीं किया कि उसने पेगासस सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा। जासूसी का जिन्न एकबार फिर बोतल से निकला है, देखना है कि ये कबतक बोतल से बाहर रहेगा। वैसे बता दें कि देश में चुनावी मौसम चल रहा है।