देहरादून- अंकिता भंडारी मर्डर केस में उत्तराखंड पुलिस ने सरकार की को ही कटघरे में खड़ी करती हुई नजर आ रही है. दरअसल उत्तराखंड पुलिस इस मामले में तीनों आरोपियों के नारको टेस्ट कराने की तैयारी कर रही है. जबकि शीतकालीन सत्र में संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल सदन में इस हत्याकांड में किसी भी वीआईपी के नाम ना होने का बयान दे चुके हैं. ऐसे में उत्तराखंड पुलिस के नारको टेस्ट कराने की कार्रवाई और सरकार के सदन में दिए हुए बयान दोनों में ही विरोधाभास दिखाई दे रहा है. जिसने इस मामले में एक नया मोड़ ला दिया है.
सरकार और पुलिस के बीच सामंजस्य की कमी
अंकिता भंडारी मर्डर केस में एसआईटी अपनी जांच में जुटी हुई है. वीआईपी के नाम को लेकर एक तरफ जहां पुलिस आरोपियों के नारको टेस्ट कराने की तैयारी कर रही है. 22 दिसंबर तक उत्तराखंड पुलिस चार्जशीट दाखिल कर देगी. साथ ही नारको टेस्ट के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन लगाई जाएगी. कोर्ट की परमिशन के बाद तीनों आरोपियों का नारको टेस्ट किया जाएगा. जिसमें वीआईपी के नाम का खुलासा हो सकता है. लेकिन दूसरी ओर सरकार इस मामले में किसी भी वीआईपी के नाम से साफ इनकार कर चुकी है. ऐसे में दो विरोधाभासी बयानों के बीच सरकार और पुलिस के बीच सामंजस्य की कमी देखी जा रही है. जिसके बाद या तो सरकार के सदन ने दिए गए बयानों को पुलिस अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं या फिर पुलिस अधिकारियों की कार्यवाही सरकार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
एडीजी के बयान से सरकार की मुश्किलें बढ़ी
3 दिसंबर को पिछले दिनों एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, वी मुरूगेशन ने मीडिया के सामने दिए गए बयान से उत्तराखंड सरकार कटघरे में खड़ी दिखाई दे रही है. दरअसल एडीजी ने अंकिता भंडारी हत्याकांड में न केवल समय से चार्जशीट दाखिल करते हुए कोर्ट में तीनों आरोपियों का नारको टेस्ट कराने की अर्जी दाखिल करने की बात की थी. उन्होंने कहा था की रिसोर्ट में बने हुए प्रेसिडेंशियल सूट में ठहरने वाले वीआईपी होते हैं. जिसकी हकीकत जानने के लिए तीनों आरोपियों का नारको टेस्ट कराने के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन लगाई जाएगी. कोर्ट की स्वीकृति के बाद तीनों आरोपियों का नारको टेस्ट कराया जाएगा.