शेख हसीना पांचवीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री चुनी गयी हैं, भारत उनके प्रधानमंत्री बनने से खुश है, शेख हसीना ने भी भारत को अपना सबसे बड़ा दोस्त बताया है. शेख हसीना ने ये चुनाव मुख्य विपक्षी पार्टियों के बहिष्कार के बाद जीता, यानि इसबार उनके लिए मैदान पूरी तरह से साफ़ था. अब अमरीका ने बांग्लादेश में हुए चुनाव और शेख हसीना के एकबार फिर प्रधानमंत्री बनने पर सवाल उठाये हैं. अमेरिका ने कहा है कि बांग्लादेश में हुए इन चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता।
बता दें कि चुनाव से पहले सत्तारूढ़ हसीना ने सत्ता का दुरूपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर विपक्ष के नेताओं की गिरफ़्तारी थी, विपक्ष हसीना सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन छेड़े हुए था. बांग्लादेश के चुनाव पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि ये चुनाव न तो स्वतंत्र हुए और न ही निष्पक्ष। अमेरिका को खेद है कि बांग्लादेश के आम चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने हिस्सा नहीं लिया। अमेरिका ने बांग्लादेश के चुनावों के दौरान हुई हिंसक घटनाओं की निंदा भी की जिसमें कई लोगों की जानें गयी. प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका चुनावों के दौरान और उसके बाद हुई हिंसा की रिपोर्टों की विश्वसनीय जांच करने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए कहेगा।
अमेरिका के अलावा ब्रिटेन ने भी बांग्लादेश के चुनावों पर इसी तरह की प्रतिक्रिया दी थी हालाँकि भारत अमेरिका और ब्रिटेन के इन बयानों से इत्तेफाक नहीं रखता। शेख हसीना को बधाई देने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले वैश्विक नेता थे. अमेरिका की ये कठोर टिप्पणी अमेरिका और बांग्लादेश के मौजूदा मधुर संबंधों से मेल नहीं खाती। अमेरिका बांग्लादेश में चरमपंथियों के खिलाफ शेख हसीना की कार्रवाई का समर्थन करता है. हालाँकि बांग्लादेश के चुनाव में कोई मज़बूत विपक्षी दल शामिल नहीं था इसके बावजूद भी शेख हसीना की पार्टी 299 सीटों में सिर्फ 155 ही हासिल कर पाई जिससे लगता है कि देश में उनकी लोकप्रियता काफी घटी है, अगर विपक्ष ने चुनाव में हिस्सा लिया होता तो उनकी सरकार का फिर सत्ता में आना मुश्किल था.