- डॉक्टर्स ने जताई चिंता, 9 फ़ीसदी में बढ़ी शुगर
यदि आपका बच्चा सुस्त रहता है। उम्र के हिसाब से उसकी लंबाई नहीं बढ़ रही है, वजन लगातार बढ़ रहा है तो सचेत हो जाइए, सेहतमंद दिखने वाला आपका बच्चा मोटापे की जद में है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 40 फीसदी बच्चों में मोटापे की समस्या पाई गई है। 13 से 18 साल की उम्र के इन बच्चों में 18.5 फीसदी लड़कियां हैं। जबकि 21.4 फीसदी लड़के शामिल हैं। वहीं दो से चार साल के 9 फ़ीसदी बच्चों में मोटापे के कारण डायबिटीज की शिकायत मिली है। चिकित्सकों का कहना है कि यह स्थिति बहुत चिंता जनक है। बच्चों में हर साल 4.98 प्रतिशत की दर से मोटापा बढ़ रहा है। आने वाले 6 सालों में इसमें 17.5 फ़ीसदी की वृद्धि होने की संभावना भी जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल जाने वाले 9 प्रतिशत तक बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से उभर कर सामने आ रही है। चिकित्सकों का कहना है मोटापा धीमे जहर की तरह शरीर पर काम करता है। धीरे-धीरे अन्य बीमारियों को शरीर में घर कर जाती हैं।
ये हैं मोटापा बढ़ने के प्रमुख कारण
मेरठ मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विजय जयसवाल बताते हैं की मोटापे से कई तरह के कैंसर, डायबिटीज, हृदय समस्याएं, फेफड़ों की समस्या तक हो सकती है। बच्चों में मोटापे का मुख्य कारण जंक फूड, डीप फ्राई फूड, हाई शुगर एंड साल्ट इंटेक है। इसका दूसरा बड़ा कारण बच्चों में तनाव भी है। अकेलेपन के साथ ही पढ़ाई और परिवार के प्रेशर बच्चों में मोटापा बढ़ा रहा है। अपनी एंजाइटी को कम करने के लिए बच्चे ओवर ईटिंग करने लगते हैं। अधिक स्क्रीन टाइम और फिजिकल एक्टिविटी न होने की वजह से भी बच्चे ओबेसिटी के शिकार बन रहे हैं।
बचाव है जरूरी
चिकित्सक बताते हैं कि बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए सही देखभाल बहुत जरूरी है। बच्चों को फिजिकली, मेंटली एक्टिव करें। रनिंग, रोप स्किपिंग, साइकिलिंग जैसी गतिविधियों में भागीदारी करने के लिए प्रेरित करें। बच्चों को मोबाइल या टीवी देखते हुए खाना खाने की आदत बिल्कुल न डालें। बच्चों में हेल्दी ईटिंग हैबिट्स डेवलप करें। फल और सब्जियों से युक्त छोटी छोटी मिल्स दें। चिकित्सकों का कहना है की शरीर में यदि फैट्स की मात्रा अधिक हो जाती है तब उनमें गैर संचारी रोगों के फैलने का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता हैं।